नयी दिल्ली, 12 नवंबर (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अपनी विचारधारा को राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता दिए जाने से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि विचारधारा पर गर्व स्वाभाविक है लेकिन वह राष्ट्रहित में होनी चाहिए न कि राष्ट्र के खिलाफ। प्रधानमंत्री राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के परिसर में स्वामी विवेकानंद की आदमकद प्रतिमा का अनावरण करने के बाद छात्रों को संबोधित कर रहे थे। वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस अनावरण समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी उपस्थित थे।
मोदी ने कहा, ‘किसी एक बात, जिसने हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है- वो है राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना। क्योंकि मेरी विचारधारा ये कहती है, इसलिए देशहित के मामलों में भी मैं इसी सांचे में सोचूंगा, इसी दायरे में काम करूंगा, यह गलत है।’
उन्होंने कहा कि आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है और यह स्वाभाविक भी है लेकिन फिर भी, ‘हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में, राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं’।
प्रधानमंत्री ने आजादी के आंदोलन और आपातकाल के खिलाफ संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि जब-जब देश के सामने कोई कठिन समय आया है, हर विचार और हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं। उन्होंने कहा, ‘आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे। उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था। आपातकाल के दौरान भी देश ने यही एकजुटता देखी थी। आपातकाल के खिलाफ उस आंदोलन में कांग्रेस के पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे। आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे। समाजवादी लोग भी थे। कम्युनिस्ट भी थे।’ मोदी ने कहा, ‘जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है।’