लुधियाना, 22 अप्रैल (निस)
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने न केवल गेंहू की खरीद की पूरी प्रक्रिया में कुप्रबंधन किया, बल्कि कोविड मरीजों को मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित करने में भी नाकाम रहे, जिस कारण पंजाब देश में सबसे ज्यादा मृत्यु दर दर्ज कर रहा है।
अकाली दल अध्यक्ष ने निकटवर्ती मुल्लांपुर ‘मंडी’ का आज दौरा करने के दौरान किसानों ने उन्हें बताया कि गेंहू की लिफ्टिंग न होने के कारण उन्हें परेशानी हो रही है। खरीद प्रक्रिया को सुचारू बनानेे के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। किसानों ने बारदाने की कमी की भी शिकायत की तथा कहा कि सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदी गई गेंहू के लिए पेमेंट नहीं मिल रही है।
सरदार बादल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकार ने पिछले साल में राज्य के अस्पताल के बुनियादी ढ़ांचे को अपग्रेड करने के लिए 1 हजार करोड़ रूपये खर्च करने के नाम पर एक और घोटाला किया है, इसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जहां अस्पताल के बुनियादी ढ़ांचे और बहुत जरूरी चिकित्सा सेवाओं के लिए पैसे की जरूरत है। मरीजों को पर्याप्त आॅक्सीजन, वेंटिलेटर, आईसीयू की सुविधा यहां तक कि दवाईयां तक नहीं मिल पा रही हैं। लोग देखरेख के अभाव में अस्पताल के सामने पड़े हैं, लेकिन प्रदेश सरकार तथा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह बेबस है। ‘मुख्यमंत्री ने राज्य को जलते देखकर भी खुद को अपने फार्म हाउस में बंद कर लिया है।’ अकाली नेता ने सरकार से पिछले एक साल में कोविड पर एक हजार करोड़ खर्च करने की सूची देने के लिए चुनौती दी। उन्होंने कहा कि केवल राज्य के दो जिलों में आईसीयू की नई सुविधाओं के साथ जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं बदला है। ‘वेंटिलेटर अभी भी अपर्याप्त हैं और यहां तक कि केंद द्वारा प्रदान किए गए वेंटिलेटरों को महीनों तक खोला भी नहीं गया था। जीवन रक्षक इंजेक्शन के अतिरिक्त रेमडेसिविर के अलावा सरकारी अस्पतालों में साधारण दवाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। यही कारण है कि लोगों ने सरकारी अस्पतालों को त्याग दिया है और निजी अस्पतालों में भीड़ है, जो रोगी का पूरा इलाज करने में असमर्थ पा रहे हैं। सुखबीर बादल के साथ मनप्रीत सिंह अयाली, एसआर कलेर, बलविंदर सिंह भी थे।
बादल ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे पास एक ऐसा मुख्यमंत्री है जिसने दो सालों से पंजाब का दौरान नहीं किया है। इस कारण जनहित में कोई उपचारात्मक कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। राज्य को भाग्य के सहारे छोड़ दिया गया है। इस बीच उन्होंने अकाली दल के सभी नेताओं से कहा कि वह ‘मंडियों’ में किसानों की हरसंभव सहायता करें।