गुरुग्राम, 18 अक्तूबर (हप्र)
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कर रही कंपनियां ग्रेडिड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के नियमों को तार-तार कर रही हैं। निर्माण कार्य करने वाली कंपनियों की मनमानी के कारण गुरुग्राम से सोहना तक करीब 24 किलोमीटर के दायरे में वायु प्रदूषण ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। निर्माण कार्यों के कारण दिनभर उड़ने वाली धूल स्थानीय निवासियों के फेफड़ों को क्षतिग्रस्त कर रोगी बना रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बात ही छोड़िए सभी जवाबदेह एजेंसियां इन कंपनियों से नियमों की पालना नहीं करवा पा रही हैं।
निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर राजीव चौक से बादशाहपुर तक निर्माण कार्य का ठेका ओरिएंटल स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स (ओएसई) प्राइवेट लिमिटेड के पास है। यह कंपनी करीब 7 किलोमीटर लंबा एलीवेटिड रोड बना रही है। इससे आगे भोंडसी से सोहना तक का कार्य दो कंपनियां एचजी इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड (एचजीआईईएल) और गुरुग्राम-सोहना हाईवे प्राइवेट लिमिटेड (जीएसएचपीएल) मिलकर कर रही हैं। निर्माण कार्य में ग्रैप नियमों की पालना करवाने की जिम्मेदारी तीनों कंपनियों की है, लेकिन निर्माणाधीन साइट्स की हालत ऐसी है कि सड़क से कार सवारों का भी निकलना भारी हो जाता है। बादशाहपुर से गुरुग्राम की ओर के कैरिज-वे पर बनाई वैकल्पिक सड़क कंपनी ने खोद दी है। अब वाहन चालकों को कच्ची सड़क पर से गुजरना पड़ता है। इस सड़क से दिनभर औसतन एक लाख वाहनों का निकलना होता है। ऐसे में मिट्टी वाले वैकिल्पक रास्ते पर दिनभर जाम तो लगा ही रहता है वाहनों के आवागमन से मिट्टी उड़ती रहती है।