ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 21 सितंबर
पिपली (कुरुक्षेत्र) में 10 सितंबर को किसानों पर हुए लाठीचार्ज को सीएम मनोहर लाल खट्टर ने आत्मरक्षा में उठाया कदम बताया है। उनका कहना है कि पिपली में कुछ लोगों पर लाठी चली और उसे लाठीचार्ज नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह सेल्फ-डिफेंस में उठाया गया कदम था।
इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष में चल रहे विवाद के बीच सोमवार को सीएम का यह बयान सामने आया। वे चडीगढ़ के सेक्टर-3 स्थित भाजपा कार्यालय में कोरोना काल के दौरान सरकार द्वारा किए गये कार्यों को लेकर ‘ई-बुक’ लाॅन्चिंग के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, प्रदेश महामंत्री एडवोकेट वेदपाल सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस मौके पर मौजूद रहे। सीएम ने कहा, लाठीचार्ज क्या होता है, चर्चा ये होनी चाहिए। उन्होंने माना कि सीआईए के सादी वर्दी वाले पुलिसकर्मी ने लाठी चलाई थी। उन्होंने कहा, वीडियो में एक व्यक्ति सादी वर्दी में टोप पहने हुए दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ से एक व्यक्ति ट्रैक्टर द्वारा बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ा जा रहा था। ऐसे में पुलिसकर्मी ने सेल्फ डिफेंस में कदम उठाया।
मीडिया के सवाल पर सीएम ने कहा, लाठीचार्ज तब माना जाता, जब कोई आर्डर दिया गया होता। अभी तक के तथ्यों में कहीं भी यह नहीं है कि किसी ने लाठीचार्ज का आदेश दिया। डिप्टी सीएम द्वारा की गयी जांच की मांग से जुड़े सवाल पर सीएम ने कहा, ‘हो गई न जांच। मैं आपके (मीडिया) सामने कह रहा हूं। आपके सामने ही तो जांच कर रहा हूं।’
सीएम ने एक तरह से साफ कर दिया कि इस मामले में किसी तरह की जांच का कोई औचित्य नहीं है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज पहले से कह रहे हैं कि पुलिस ने किसी किसान पर लाठी नहीं चलाई। हालांकि, भाजपा की गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) लाठीचार्ज पर किसानों से माफी मांग चुकी है। भाजपा सांसद- धर्मबीर सिंह, बृजेंद्र सिंह, पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु सहित कई नेता भी लाठीचार्ज की निंदा कर चुके हैं। जजपा नेता व डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला भी लाठीचार्ज के मुद्दे पर सीएम से मुलाकात कर चुके हैं। दुष्यंत ने जांच करवाने की मांग की थी।
विज बोले सत्य सदैव सत्य रहता है : सीएम के बयान के बाद गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, ‘सत्य, सत्य होता है और सदैव सत्य रहता है।’ उन्होंने कहा कि किसानों को भी अब यह बात समझ आ गयी है कि तीनों बिल उनके हक में हैं। किसानों को भड़काने के नाम पर राजनीति करने वालों को जनता नकार चुकी है।