पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 6 दिसंबर
किसानों के बीच न केवल अलग-अलग क्षेत्रों के मशहूर सेलिब्रिटीज पहुंच रहे हैं, बल्कि अलग-अलग गैर-किसान संगठनों के प्रमुख भी किसानों को समर्थन देने की लगातार घोषणा कर रहे हैं। खास बात यह है कि यहां धरनास्थल पर पूरा दिन भाषणों का सिलसिला चलता है। केवल किसानों के मुद्दे ही नहीं, बल्कि दूसरे मुद्दे भी जमकर उठाए जा रहे हैं। ईवीएम में गड़बड़ी से लेकर कोरोनाकाल में स्कूलों को बंद रखे जाने तक के मुद्दे यहां पर उठाए जा रहे हैं। गैर किसान संगठनों के नेता मंच मिलने पर जमकर अपनी भड़ास निकालते हैं। यहां पर कर्मचारी, मजदूर, विद्यार्थी, वकीलों से लेकर टैक्सी चालकों जैसी यूनियनों के प्रमुख पहुंच रहे हैं और किसानों की लड़ाई में उनके साथ होने का दावा करते हैं। अधिवक्ताओं की इंडियन एसोसिएशन आफ लॉयर्स भी किसानों के समर्थन में उतर आई और कुंडली पहुंचकर किसानों को समर्थन दिया। उन्होंने मांग की कि तीनों कृषि कानून तुरंत वापस लिए जाएं।
किसान और परिजनों के बीच कड़ी बने युवा
कुंडली बार्डर पर धरनारत किसानों के बीमार होने की स्थिति में उन्हें घर पहुंचाने और वापसी में जरूरत का सामान लाने के लिए युवाओं की टीम दिन-रात कार्यरत है। धरने पर बैठे बुजुर्ग किसानों व महिलाओं के बीमार होने पर इन्हें तुरंत पंजाब पहुंचा रहे हैं। वहीं, पंजाब से यहां अपने परिजनों से मिलने वाले लोगों को कुंडली तक लाया जा रहा है। पंजाब के संगरूर जिले के हरमीत व उसके युवा साथी पिछले 10 दिनों से चल रहे किसानों के धरने के दौरान अब तक पंजाब के 12 चक्कर लगा चुके हैं।
बीमारी की परवाह नहीं
किसान आंदोलन में पहुंचे बुजुर्गों में से कई बीमार हैं लेकिन इनके हौसले बुलंद हैं। लुधियाना निवासी 70 वर्षीय मलकीत सिंह कहते हैं कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। लगातार थकावट महसूस हो रही है और बुखार कई बार हो चुका है, लेकिन वे वापस लौटने की नहीं सोच रहे। 65 वर्षीय रणधीर सिंह ने बताया कि कई बार उनकी तबीयत बिगड़ चुकी है, लेकिन वे वापस नहीं जाएंगे।