रेवाड़ी, 21 अप्रैल (निस)
राष्ट्रीय कवि संगम के तत्वावधान में बुधवार को श्रीरामनवमी पर ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें जिलेभर से 12 से अधिक रचनाकारों ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम पर आधारित अपनी काव्य पंक्तियां सांझा की। मुख्यातिथि वरिष्ठ रचनाकार सत्यवीर नाहड़िया थे। उन्होंने कहा- ‘तीन लोक नौ खंड में, पल-पल गूंजे नाम, रोम-रोम में जो रमा, नाम वही है राम’। राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय महामंत्री डा. अशोक बत्रा ने कहा ‘हर मनुज के आचरण में, राम-सा व्यवहार हो, मित्र हो या शत्रु हो फिर, जीत हो या हार हो।
भाई-बंधु, पिता-माता या प्रिया से प्यार हो, चाहता हूं आपका भी, राम-सा संसार हो’। प्रो. रमेश चंद्र शर्मा ने प्रभु राम के प्रति अपने मनोभावों को प्रकट करते हुए कहा कि- दे सहज सुमति हे स्वामी, इतना न धृष्ट बन जाऊं, मेरे अभीष्ट, मैं तेरा, सेवक विशिष्ट बन जाऊं। मेरे इस मैले मन को, कुछ यूं उजला प्रभु मेरे- मैं भी तुलसी के मन का, इक पुण्य पृष्ठ बन जाऊं। वरिष्ठ रचनाकार व रंगकर्मी गोपाल शर्मा ने कहा- हरने जन जन की अब पीर, फिर से आए हैं रघुवीर, सरयू के पावन तट पर, भयी संतन की भीर। जन्मभूमि का दर्शन करने, जन-जन हुआ अधीर, अब तो मंदिर बने नजीर, फिर से आए हैं रघुवीर।