चंडीगढ़, 26 मार्च (ट्रिन्यू)
प्रदेश में सरकारी स्कूलों की भी अब रैंकिंग होगी। इन स्कूलों में अमूल-चूल बदलाव करके इन्हें अब नयी शिक्षा नीति के अनुकूल बनाया जाएगा। इससे आने वाले समय में बच्चों को किसी प्रकार की दिक्कत न आए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर शिक्षा निदेशालय ने यह कार्रवाई शुरू कर दी है।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को वर्ष 2030 तक नयी शिक्षा नीति लागू करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन प्रदेश सरकार वर्ष 2025 तक नयी शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी में है। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही में पेश हुए बजट में भी यह घोषणा की है। इसके चलते शिक्षा निदेशालय ने नयी शिक्षा नीति से पहले स्कूलों को समय के अनुकूल बनाने का फैसला लिया है, जिससे विद्यार्थियों में निजी स्कूलों के प्रति रुझान कम हो सके।
हरियाणा में इस समय 14 हजार 400 स्कूल चल रहे हैं। निजी स्कूलों से पहले सरकार ने अपने स्कूलों की रैंकिंग करवाने तथा इनमें बदलाव करने का फैसला किया है। शिक्षा निदेशालय के नेतृत्व में काम करने वाली अलग-अलग कमेटियों द्वारा सरकारी स्कूलों को ग्रीन, येलो तथा रेड श्रेणी में बांटा जाएगा। इन कमेटियों में स्कूल प्रबंधक, अभिभावक, एनसीईआरटी के प्रतिनिधि तथा शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह श्रेणियां इन स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं तथा परीक्षा परिणाम पर आधारित होंगी।
करने होंगे सुधार
सरकार की योजना है कि पहली बार की रैंकिंग में जो स्कूल रेड जोन में आते हैं, उन्हें 6 से 8 माह के भीतर सुधारा जाए। जो स्कूल ग्रीन जोन में आएंगे उन्हें 3 से 6 माह के भीतर सुधारा जाए। यह सभी कमेटियां अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को देंगी और मुख्यालय द्वारा यह रिपोर्ट शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी को सौंपी जाएंगी। शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों के आधार पर स्कूलों में बदलाव किया जाएगा। इस सर्वे तथा रैंकिंग के लिए सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की एक एजेंसी की सेवाएं ली जाएंगी। सभी स्कूलों को एक ही श्रेणी में लाने के बाद नयी शिक्षा नीति को लागू करने पर काम होगा।
ऐसे होगा मूल्यांकन
स्कूल का 3 साल का परीक्षा परिणाम कैसा है
अध्यापक और छात्र अनुपात
स्कूल का मौजूदा बुनियादी ढांचा कैसा है
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्कूल बच्चों के अनुकूल है या नहीं
स्कूल में बच्चों को पढ़ाई के अनकुल माहौल मिलता है या नहीं
पीने के पानी का क्या प्रबंध है
टॉयलेट की क्या दशा है
लाइब्रेरी और लैबोरेटरी की कैसी व्यवस्था है
विद्यार्थी के स्कूल व घर के बीच का फासला कितना है
छात्राओं के अनुपात में महिला शिक्षिकोओं की तैनाती कितनी है
माॅडल प्ले स्कूलों पर काम शुरू
चंडीगढ़ (ट्रिन्यू) : नौनिहालों की देखभाल का माध्यम बनने वाले आंगनवाडी केंद्र अब उनकी शिक्षा की पहली सीढ़ी बनने जा रहे हैं। नयी शिक्षा नीति के अनुरूप अब प्रदेश की आंगनवाडी केंद्रों में न केवल संरचनात्मक बदलाव देखने को मिलेगा, बल्कि व्यवहारिक तरीके से प्रशिक्षित स्टाफ 4000 आंगनवाडी केंद्रों में औपचारिक शिक्षा देने के लिए तैयार होगा। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस दिशा में तेजी काम कर रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कमलेश ढांडा ने कहा कि विभाग ने 4000 आंगनवाडियों को प्ले स्कूल में बदलने के लिए पहले चरण में 1135 प्ले स्कूल शुरू करने के लक्ष्य को पूरा करना शुरू कर दिया है। इस दिशा में प्रदेश भर में जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों में 89 मास्टर ट्रेनर तैयार किए हैं, जिन्होंने 5 दिन में विभाग की 100 सीडीपीओ तथा 777 सुपरवाइजरों को प्रशिक्षित किया है। अब सभी प्रशिक्षित अधिकारी फील्ड में जाकर आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रशिक्षण देंगी।