कुरुक्षेत्र, 4 दिसंबर (हप्र)
स्टूडेंट फैडरेशन आफ इंडिया (एसएफआई) के आह्वान पर विद्यार्थियों का बाइक जत्था किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली रवाना हुआ। जिला संयोजक गगन ने बताया कि यह लड़ाई केवल किसान की नहीं, बल्कि पूरे समाज और पूरे देश को बचाने की लड़ाई है। ये तीनों काले कानून पहले से ही घाटे का सौदा बन चुकी खेती को पूरी तरह से बर्बाद कर देंगे। आज भी हमारे देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा खेती पर निर्भर है। आज जब तकरीबन सारे क्षेत्र भारी मंदी में फंसे हुए हैं, ऐसी स्थिति में भी खेती ने ही अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है।
एसएफआई अध्यक्ष मोहित बूरा ने कहा कि सरकार निजीकरण की उसी नीति को खेती पर लादने की कोशिश कर रही है जिसने देश की अर्थव्यव्यवस्था को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। देश का किसान पूरी बहादुरी और दिलेरी के साथ इन नीतियों के विरोध में आकर खड़ा हो गया है।
पंजाब की तरह हरियाणा के नौजवान भी बढ़-चढ़कर इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं और 9 दिसंबर को अखिल भारतीय कमेटी के आह्वान पर एकबार फिर से विद्यार्थी बाइक एवं अन्य संसाधनों से दिल्ली के लिए हुंकार भरेंगे।
किसानों के समर्थन में रोडवेज कर्मी भी उतरे
कुरुक्षेत्र (हप्र) : राज्य कमेटी रोडवेज के आह्वान पर सभी डिपो में शुक्रवार को किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन किया गया। अध्यक्षता डिपो प्रधान बलवंत देशवाल ने की व संचालन राकेश कुमार डिपो सचिव ने किया। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए रोडवेज के डिपो प्रधान बलवंत देशवाल व सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान ओमप्रकाश ने संयुक्त रूप से बताया कि यदि किसानों से बातचीत करके सरकार ने तीनों बिलों को रद्द करना, बिजली संशोधन बिल-2020 को रद्द करना, एमएसपी से कम खरीद पर सजा का प्रावधान करना आदि मुद्दों पर जल्दी से समाधान नहीं किया गया तो रोडवेज हरियाणा व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा किसान आंदोलन के समर्थन में कोई बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा। इसकी सारी जिम्मेवारी हरियाणा सरकार व केंद्र सरकार की होगी।
रोडवेज के विषय पर कहा कि सरकार ने मनमाने ढंग से किलोमीटर स्कीम की जो बसें चलाई हैं। उनमें ड्राइवर अनट्रेंड हैं। वे हर रोज सवारियों की जान जोखिम में डालकर एक्सीडेंट कर रहे हैं। सरकार को ट्रेनिंग देकर रूट पर ड्राइवरों की नियुक्ति करी चाहिए। वे सरकारी संपत्ति को अपनी जान से भी ज्यादा संभाल कर रखते हैं। सवारियों की जान की भी चिंता करते हैं।
पानीपत आंदोलन के समर्थन में कई संगठनों की बैठक
पानीपत (एस) : पानीपत ग्रामीण विकास मोर्चा के अध्यक्ष सतपाल राणा के नेतृत्व में शुक्रवार को किसान आंदोलन के समर्थन में शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों की बैठक हुई। सतपाल ने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात नहीं मानी गई तो पानीपत के सभी संगठन 6 दिसंबर को दिल्ली बॉर्डर कूच करेंगे। बैठक में भगवान परशुराम परमार्थ संस्था के अध्यक्ष पंडित सतीश राज शर्मा, समाज सेवा दल के प्रधान हरवेल सिंह मक्कड़, ब्राह्मण सभा के युवा अध्यक्ष रविंद्र शर्मा, अंबेडकर युवा मंच के प्रधान सुमित कुमार आदि मौजूद रहे।
रोडवेज कर्मी सड़क पर उतरे
पानीपत (एस) : हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर डिपो कमेटी पानीपत द्वारा शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज करने और किसानों पर दमन के विरोध में प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन की अध्यक्षता डिपो उप प्रधान राजेन्द्र छौक्कर ने की। वहीं राज्य संगठन के कैशियर राजपाल गाल्हाण ने कहा कि किसान करीब 2 महीने से तीनों कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार किसान संगठनों से बातचीत करने की बजाय किसान मजदूर एकता को तोड़ने का प्रयास कर रही है।
कैथल में निकाला रोष मार्च
कैथल (हप्र) : कृषि कानूनों के विरोध में गांव दयौरा में शुक्रवार को यूनियन की राज्य सह-सचिव कमला दयौरा के नेतृत्व में आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन ने रोष मार्च निकाला। मार्च में ऊषा, निर्मला, सुदेश, संतोष, रोशनी, बीरमती और अन्य महिलाओं ने भाग लिया। महिलाओं को संबोधित करते हुए कमला ने कहा कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। इसलिए माता-पिता को बेटी-बेटा में फर्क नहीं समझना चाहिए। हमें घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा व महिलाओं पर बढ़ रहे रेप आदि अत्याचारों का संगठित विरोध करना चाहिए। हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए व हर संघर्ष में आगे रहना चाहिए।
टीकरी बॉर्डर पहुंचे करीवाला, केंद्र सरकार की आलोचना
सिरसा (निस) : इंडियन नेशनल लोकदल के जिलाध्यक्ष कश्मीर सिंह करीवाला सैकड़ों किसानों के साथ बहादुरगढ़ में टीकरी बॉर्डर पर पहुंचे और इनेलो की ओर से समर्थन किसान आंदोलन को दिया। इस दौरान करीवाला ने कहा कि किसानों की जायज मांगों के प्रति भाजपा की हठधर्मिता पूरी तरह से निंदनीय है और केंद्र को किसानों के हित में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहिए। करीवाला ने कहा कि इन कृषि कानूनों से किसानों की आर्थिक उन्नति पूरी तरह से रुक जाएगी और उन्हें पूंंजीपतियों के शोषण का सामना करना पड़ेगा।
इनेलो पहले से ही किसानों के समर्थन में है और उसे अपना पूरा समर्थन दे रही है। करीवाला ने कहा कि इनेलो भाजपा सरकार की किसानों के प्रति अपनाए जा रहे रवैये की कड़ी निंदा करती है। इस अवसर पर उनके साथ प्रगतिशील किसान विनोद दड़बी, सुभाष नैन, गुरविंद्र सिंह गिल, हरदेव सिंधु, वेद बेनीवाल आदि मौजूद रहे।
प्रतिष्ठा का विषय नहीं बननी चाहिए काले कानूनों की वापसी
बाबैन (निस) : हरियाणा डेमोक्रैटिक फ्रंट पार्टी की वरिष्ठ नेता चित्रा सरवारा ने कहा है कि हमारे मोर्चे का मुख्य लक्ष्य किसान, गरीब, मजदूर और छोटे दुकानदारों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार से लड़ना है। तीनों कृषि काले कानूनों को वापस लेने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए । सरकार किसान, गरीब, मजदूर और छोटे दुकानदारों की हितैषी नहीं हो सकती उस सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं होना चाहिए। किसान के हक की लड़ाई में उनके नेतृत्व में उनके मोर्चे की अनेक सदस्य दिल्ली कूच करेंगी।
ताकि किसान के हित की लड़ाई जीत सकें। उन्होंने कहा है कि हम महिलाएं जरूर हैं पर हमारे अंदर किसान आंदोलन की लड़ाई लड़ने का जुनून है।
फतेहाबाद में भी रोडवेज कर्मचारियों का प्रदर्शन
फतेहाबाद (निस) : कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में रोडवेज कर्मचारियों ने शुक्रवार को फतेहाबाद में जोरदार रोष प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन संबंधित सर्व कर्मचारी संघ राज्य कमेटी के आह्वान पर किसानों के समर्थन में कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर शुक्रवार को डिपो प्रधान शिवकुमार श्योराण के नेतृत्व में सैकड़ों रोडवेज कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कर्मचारी नेता शिवकुमार श्योराण, सुभाष बिश्नोई, सुरेन्द्र मलिक, संदीप जांडली, राजाराम हुड्डा व रामदिया श्योकन्द ने किसानों की सहमति के बिना जबरदस्ती बनाये गए कृषि कानूनों से केवल किसान ही नहीं बल्कि देश की जनता व कृषि पर निर्भर पूरे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ेंगे। प्रदर्शन को हर्ष महता, कुलदीप मलिक, ईश्वर सिंह सहारण, दर्शन सिंह जांगड़ा, सत्येंद्र, प्रदीप कुमार लम्बोरिया आदि नेताओं ने भी संबोधित किया।
सिरसा में भी भड़के रोडवेज कर्मी
सिरसा (निस) : हरियाणा रोडवेज सिरसा डिपो के कर्मचारियों ने शुक्रवार को हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी के बैनर तले बस स्टैंड में किसान आंदोलन के समर्थन में और सरकारी विभागों के निजीकरण व बिजली बिल-2020 के विरोध में जोरदार रोष प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने केन्द्र सरकार से अपील की कि समय रहते किसान विरोधी तीन काले कानून वापस ले अन्यथा किसान और कर्मचारी मिलकर भविष्य में इससे भी तीखे आंदोलन के लिए तैयार हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा राज्य परिवहन हिसार की पांचों यूनियनों के पदाधिकारियों के रंजिशवश तबादलों को भी वापस लिए जाने की मांग की। इस अवसर पर राजकुमार चुरनियां, मदन लाल खोथ, भीम सिंह चक्कां, सुरजीत अरोड़ा आदि मौजूद रहे।
हठधर्मिता छोड़ किसानों की मांग माने सरकार: माजरा
कैथल (हप्र) : पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने कहा कि केंद्र सरकार को हठधर्मिता छोड़कर किसानों की मांग पूरी करनी चाहिए। तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर पूर्व की व्यवस्था बहाल की जाए। उन्होंने कहा कि भाजपा देश को अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्थाओं के अनुरूप चलाना चाहती है जबकि .ये सारी योजनाएं जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं। यहां कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है जिसमें किसान पूरी व्यवस्था का आधार है। सरकार किसानों को झांसे या धोखे में रखकर नियम नहीं बना सकती। उनके ऊपर नये नियम थोप नहीं सकती। हरियाणा में किसान आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया गया है।
लेकिन अब पूरे देश का किसान जाग उठा है। देश की राजधानी के चारों ओर किसान जमे हैं। उनका किसानों को पूर्ण रुप से समर्थन है। सरकार एमएसपी लिखित में दे। किसानों की फसल खरीद की पुरानी व्यवस्था को मजबूत करे। आवश्यक वस्तुओं के स्टॉक फिर से तय किए जाएं। ताकि आलू, प्याज व टमाटर जैसी वस्तुओं के दाम नियंत्रित रह सकें। साथ ही कांट्रेक्ट फार्मिंग को स्वैच्छिक किसानों की सुविधा अनुसार किया जाए। उन्होंने कहा कि हरियाणा का किसान भी जाग चुका है। इसीलिए सरकार किसानों को हलके में ना ले। किसानों की बात मानें और उन्हें सम्मान के साथ दिल्ली से वापिस लौटाए। अन्नदाता किसी को परेशान करने के लिए नहीं बल्कि अपने हक के लिए लड़ रहा है। इसीलिए किसानों को लेकर ऊल-जुलून ब्यानबाजी करने वाले नेताओं, पार्टियों को किसान पहचान रहे हैं। वे अपने भविष्य के लिए, रोजी रोटी के लिए लड़ रहे हैं। ना कि किसी राजनीतिक दल के कहने से या किसी कारपोरेट घराने के लिए। किसानों को अपमान ना किया जाए। उनकी मांगें पूरी कर शीघ्र सक्वसम्मान लौटाया जाए।