सोनीपत, 19 अप्रैल (हप्र)
किसान संयुक्त मोर्चा की बैठक के 3 दिन बाद किसानों ने सोमवार को आंदोलन की अगली रणनीति का खुलासा किया। इसमें संसद मार्च का जिक्र नहीं किया गया, लेकिन सरकार के तथाकथित ऑपरेशन क्लिन को लेकर किसान चिंतित नजर आए। किसानों ने सरकार को चेताया कि अगर उनके साथ जबरदस्ती की गई, तो वह शक्ति से निपटने को तैयार हैं। 24 अप्रैल को फिर दिल्ली चलो का नारा दिया गया। 20 से 26 अप्रैल के बीच प्रतिरोध सप्ताह मनाने का फैसला लिया गया। किसान 10 मई को राष्ट्रीय किसान सेमिनार किया जाएगा। इसमें देशभर के किसान संगठन जुड़ेंगे। पत्रकारों से रूबरू होते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव, जोगेंद्र नैन, जफर मेवाती, डा. आशीष मित्तल, राजवीर सिंह जौंदन और गुरमीत सिंह ने बताया कि किसान आंदोलन ने सरकार द्वारा ऑपरेशन क्लीन की धमकी का मुकाबला ऑपरेशन शक्ति से करने की रणनीति बनाई है।
इसके एक तरफ किसान प्रतिरोध सप्ताह मनाकर सभी मोर्चों पर कोरोना का मुकाबला करने का पुख्ता इंतजाम करेंगे, तो दूसरी तरफ अगले सप्ताह से किसानों को वापस अपने मोर्चों पर आने का आह्वान किया गया है। किसान नेताओं ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से यह संकेत मिल रहे हैं कि सरकार कोरोना संक्रमण के बहाने किसान आंदोलन को खत्म करने की साजिश रच रही है। उन्होंने कहा कि प. बंगाल में विधानसभा चुनाव पूरा होते ही ऑपरेशन क्लीन के नाम से हरियाणा और केंद्र सरकार ने किसानों के मोर्चों पर हमला कर उसका सफाया करने की योजना बनाई है। किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को जबरन उठाने की कोशिश न करे।
मोर्चा ने चालू हुए टोल को दोबारा फ्री करने की रणनीति तैयार की है। इस पर जल्द काम शुरू कर दिया जाएगा। टोल फ्री कराने को कमेटी बनाई जाएंगी, जो अपने-अपने टोल का जिम्मा लेंगी।
पंजाब जत्थेबंदियों ने बनाई कमेटी
बॉर्डर पर किसानों को जुटाने, आंदोलन को संचालित करने से लेकर जरूरी इंतजामों के लिए पंजाब की जत्थेबंदियों ने 5 सदस्यों की कमेटी बनाई है। इसमें बलवंत सिंह बहरामके, मुकेश चंद्र शर्मा, जंगबीर सिंह चैहान, लखविंदर सिंह खालसा तथा कुलदीप सिंह बाजिदपुर को शामिल किया गया है। कमेटी का जिम्मा धार्मिक, कर्मचारी, मजदूर, युवा मोर्चे में समन्वय स्थापित करने का रहेगा।