प्रथम शर्मा/हप्र
झज्जर, 15 मई
पिछले काफी लंबे समय से विवादों में रहे झज्जर के राजकीय बहुतकनीकी संस्थान में घोटाले का एक नया अध्याय जुड़ गया है। यह है पिछले तीन सालों में आउटसोर्स में किए गए घपले व खरीदारी का। मामले का खुलासा एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा विभाग से मांगी गई जानकारी के बाद हुआ।
सांपला के नवीन कुमार ने झज्जर के राजकीय बहुतकनीकी संस्थान से पिछले तीन साल में हुए आउटसोर्स के टेंडर व खरीदारी के बारे में आरटीआई से जानकारी मांगी थी। इसके बाद ही घपले का भंडाफोड़ हुआ।
आरटीआई से ही खुलासा हुआ कि पिछले तीन साल में जो आउटसोर्स का टेंडर छोड़ा गया उसमें जमकर धांधली बरती गई। इसकी वजह से संस्थान का हर माह 80 हजार से 1 लाख रुपए का नुकसान हुआ। नवीन के अनुसार तीन साल में इस आउटसोर्स के टेंडर में हुई धांधली के चलते संस्थान को करीब 40 लाख रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया।
ज्यादा रेट वाली फर्म को दे दिया टेंडर
खुलासा यह भी हुआ है कि आउटसोर्स का ठेका देते समय सभी नियमों को दरकिनार कर उस फर्म को ठेका दिया, जिसके रेट ज्यादा थे। विभाग द्वारा की गई खरीदारी में जमकर घपला किया गया। उसमें भी लाखों रुपए की चपत संस्थान को लगाई गई। जिस ठेकेदार को मिलीभगत के चलते आउटसोर्स का ठेका दिया गया था वह संस्थान से तो पूरा वेतन वसूल करता रहा, जबकि सम्बंधित कर्मचारी के खाते में कम पैसे डाले जाते। इस पूरे घटनाक्रम की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता ने विभाग को की।
विजिलेंस या फिर जिला प्रशासन करे जांच
शिकायत के बाद डायरेक्टर तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा एक तीन सदस्यीय कमेटी जांच के लिए सप्ताहभर पहले बनाई गई। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह सब मिलीभगत के चलते किया गया है और जांच का जिम्मा उस टीम को सौंपा गया है जिसकी पहले से ही आरोपियों के साथ सांठ-गांठ है। ऐसे में जांच प्रभावित हो सकती है और आरोपी बच सकते हैं। शिकायतकर्ता नवीन ने मामले की जांच विजिलेंस या फिर जिला प्रशासन द्वारा कराए जाने की मांग की है।