मुंबई : रानी मुखर्जी की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘हिचकी’ की काफी तारीफ हुई थी। ‘हिचकी’ ने 250 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाए थे और कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में शीर्ष अवार्ड जीते थे। इस दिल को छू लेने वाली और प्रेरणादायक फिल्म में स्टीरियोटाइप ध्वस्त करने का एक प्रगतिशील संदेश छिपा था। फिल्म में रानी को दृढ़ निश्चय वाली एक ऐसी स्कूल टीचर के रूप में दिखाया गया था, जो स्वयं के नर्वस सिस्टम डिसॉर्डर- टॉरेट सिंड्रोम से जूझते हुए आर्थिक तौर पर पिछड़े तबके के मासूम छात्रों की जिंदगी बदल देती है। इस फिल्म के रिलीज होने की तीसरी सालगिरह के मौके पर निर्देशक सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा का कहना है कि इस दिव्यांगता को लेकर जागरूकता पैदा करने की दिशा में ‘हिचकी’ ने जो असर डाला था, वह उनके लिए गर्व का विषय है।
उनका कहना है, ‘अनगिनत लोगों ने मुझे इसके संबंध में पत्र लिखे, क्योंकि उनकी नजर में यह एक उलझन और शर्मिंदगी का विषय था। फिल्म के इतने गहरे असर को देख कर मैं बेहद खुश था। इसका असर शिक्षकों पर, छात्रों पर भी देखा गया। इनके साथ-साथ फिल्म ने हर उस व्यक्ति की जिंदगी को प्रभावित किया जो किसी भी किस्म की दिव्यांगता से पीड़ित था। यह भी एक हकीकत है कि हम सभी किसी न किसी विकृति से ग्रस्त होते हैं।’
मल्होत्रा ने आगे कहा, ‘हिचकी ने यह भी सिखाया कि मुझे अपने खुद के टॉरेट के साथ दोस्ताना रवैया रखना चाहिए। हम सबको अपने-अपने टॉरेट की तलाश करनी चाहिए। हमने इसकी पहचान कर ली हो या न की हो, हमें स्वयं के टॉरेट से किसी न किसी रूप में लड़ना पड़ता है। लेकिन हां, फिल्म के असर को देख कर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। आज भी लोग मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि वाह क्या फिल्म है! यह सुनकर बहुत अच्छा लगता है क्योंकि इस मकाम तक पहुंचने का सफर और आदि (चोपड़ा) तथा मनीष (शर्मा) द्वारा मुझे अपने मनमाफिक फिल्म बनाने की इजाजत देना गजब की बात थी, क्योंकि इस फिल्म को संभालना अपने आपमें एक बड़ी चुनौती थी। इसलिए मैं उनका बेहद शुक्रगुजार हूं।’
इस निर्देशक ने बताया, ‘रानी ने रिसर्च की, उन लोगों और बच्चों से मिलीं जो टॉरेट से पीड़ित थे। कुछ बच्चे सामने ही नहीं आना चाहते थे, कुछ लोग उनके सामने अपनी घबराहट और शर्मिंदगी जाहिर करने में हिचकिचा रहे थे। यह फिल्म ब्रैड कोहेन पर आधारित है। मुझे लगता है कि ब्रेड कोहेन के साथ काम करने के प्रति रानी का समर्पण, ब्रैड का उनकी मदद करने का तरीका और रानी द्वारा इस समस्या को अंगीकार करना और समझना गजब का था। वह इतनी इंटेलीजेंट अभिनेत्री हैं कि आपको उन्हें कोई भी चीज एक या दो बार से ज्यादा बताने की जरूरत ही नहीं पड़ती।’