नयी दिल्ली, 19 सितंबर (एजेंसी)
पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत में बरी किए जाने का अनुरोध किया है। रमानी ने कहा कि लोकतांत्रिक समाज में उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप उनका सच है।
‘मी टू’ मुहिम के दौरान रमानी ने 2018 में अकबर पर करीब 20 साल पहले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जब वह पत्रकार थे। अकबर ने 17 अक्तूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। अकबर द्वारा दायर की गयी शिकायत के मामले में रमानी की दलीलें शनिवार को पूरी हो गयीं। रमानी ने अपने वकील के जरिए अदालत को बताया कि लंबे समय से व्यवस्थागत गलतियों को सुधारने के लिए ‘मी टू’ मुहिम की शुरुआत हुई थी। इसमें हजारों महिलाओं ने हिस्सेदारी की। मैंने (रमानी) अपना मामला साबित किया और बरी होने की हकदार हूं। रमानी ने पहले आवाज क्यों नहीं उठायी, शिकायतकर्ता की इस दलील पर वकील ने कहा कि वह नहीं बोल पायीं क्योंकि उस समय चुप रह जाने का रिवाज था। मामले में गवाह पत्रकार गजाला वहाब ने भी कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत के लिए कोई तंत्र नहीं था। उन्होंने कहा, ‘विशाखा दिशा-निर्देश (कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए) 1993 में नहीं आया था। दिशा-निर्देश लागू होने के बाद भी न्यायपालिका और मीडिया को इसे लागू करने में लंबा समय लगा।’ अदालत मामले पर 13 अक्तूबर को सुनवाई करेगी। भाजपा नेता अकबर ने यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि रमानी ने उनको बदनाम किया।