रोहतक 5 सितंबर (हप्र)
हरियाणा ज्ञान-विज्ञान समिति हरियाणा और हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्य स्तरीय प्रतिरोध सम्मेलन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के सुखपुरा चौक स्थित राज्य मुख्यालय में हुआ।
इसमें 15 जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कन्वेंशन के मुख्य वक्ता हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के प्रांतीय महासचिव प्रमोद गौरी एवं हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के पूर्व राज्य प्रधान मास्टर वजीर सिंह रहे। सम्मेलन की अध्यक्षता हरियाणा ज्ञान-विज्ञान समिति के प्रांतीय अध्यक्ष रणवीर सिंह दहिया तथा हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रांतीय महासचिव प्रभु सिंह ने संयुक्त रूप से की।
प्रमोद गोरी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य गरीब वर्गों के बच्चों को शिक्षा से दूर करना है, क्योंकि धीरे-धीरे शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है। शिक्षा के लिए संघर्ष प्राचीन समय से चला आ रहा है, जोकि महात्मा बुद्ध से शुरू होकर नवजागरण काल में अनेक समाज सुधारकों महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, ईश्वर चंद्र विद्यासागर तथा राजाराम मोहन राय ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए जीवन भर संघर्ष किया। भक्ति आंदोलन में भी शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए सत्ता से संघर्ष रहा। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह समझ विकसित हुई कि शिक्षा सभी के लिए एक जैसी होनी चाहिए।
बंद हो जाएगी आर्थिक मदद
कन्वेंशन में मास्टर वजीर सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आने पर सार्वजनिक शिक्षा में वित्तीय सहायता बंद हो जाएगी और निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाएगा। अनेक राज्यों में इसी के तहत धीरे-धीरे सरकारी विद्यालयों को बंद किया जा रहा है और अध्यापकों की छंटनी की जा रही है। 11 जिलों के प्रतिनिधियों ने इस अवसर पर अपनी बात रखी, और आने वाले समय में किस तरह से इस आंदोलन को तेज किया जाएगा। सभी ने अपनी-अपनी योजनाएं साझा की। मंच का संचालन हरियाणा विज्ञान मंच के अध्यक्ष वेद प्रिय ने किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में बोलते हुए डॉक्टर रणबीर सिंह दहिया ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को संगठित होकर इस नई शिक्षा नीति का विरोध करना चाहिए। इसके दुष्परिणाम क्या-क्या होंगे समाज के सभी वर्गों को संगठित होकर बताना चाहिए।