चंडीगढ़, 12 मई (ट्रिन्यू)
भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने अपना एक और फैसला वापस ले लिया है। अब राज्य की यूनिवर्सिटी को कर्जा नहीं लेना पड़ेगा। सरकार की ओर से दी जाने वाली ग्रांट जारी रहेगी। इतना ही नहीं, 29 अप्रैल को राज्य की 10 सरकारी यूनिवर्सिटी को जारी किए गए 147 करोड़ रुपये से अधिक को भी ग्रांट में तबदील कर दिया है। वित्त विभाग ने इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। अब यह लोन के नहीं बल्कि ग्रांट के रूप में माने जाएंगे। यूनिवर्सिटी के लिए यह पहली ग्रांट है। इसके बाद आगे भी सरकार ग्रांट जारी रखेगी। इतना जरूर है कि सरकार ने स्थानीय निकायों की तर्ज पर यूनिवर्सिटी प्रबंधन को भी कह दिया है कि वे अपने आय के स्रोत बढ़ाएं ताकि सरकार पर कम से कम निर्भर रहना पड़े। वित्त विभाग की ताजा मंजूरी के बाद उच्चतर शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण ने बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालयों का अनुदान बहाल करने के आदेश जारी करते हुए पहली किस्त जारी कर दी।
विपक्ष ने किया था विरोध
सभी स्टेट यूनिवर्सिटी को अपने खर्चे खुद उठाने के सरकार के फैसले पर विपक्ष के नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला सहित कई नेताओं ने सरकार को घेरा था। विपक्ष के विरोध के बाद हरकत में आई सरकार ने उच्चतर शिक्षा विभाग को ऋण की बजाय ग्रांट बहाल करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
फैसला स्वागत योग्य : दिग्विजय
जजपा के प्रधान महासचिव व इनसो राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला ने प्रदेश सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों को ग्रांट की बजाय लोन देने के फैसले को वापस लेने का स्वागत किया है। इस फैसले से विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना मजबूत होगी व शैक्षणिक गुणवत्ता भी बढ़ेगी। यह प्रदेश के हर छात्र की जीत है।
अनुदान राशि (करोड़ों में)
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय 59.00
महर्षि दयानंद विवि 23.75
चौ़ देवीलाल विवि 10.00
भगत फूल सिंह महिला विवि 12.50
इंदिरा गांधी विवि मीरपुर 4.50
डॉ. भीमराव अम्बेडर लॉ विवि 7.25
चौ. बंसीलाल विवि 10.00
चौ. रणबीर सिंह विवि 5.50
महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विवि 8.75
गुरुग्राम विश्वविद्यालय 6.50
कुल 147.75