कोपेनहेगन, 15 सितंबर (एजेंसी)
ग्रीनलैंड में स्थित बर्फ के पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा उत्तरी-पूर्वी आर्कटिक में टूट गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन का प्रमाण है। नेशनल जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ डेनमार्क एंड ग्रीनलैंड ने सोमवार को बताया कि हिमनद का जो हिस्सा टूटा है वह 110 वर्ग किलोमीटर बड़ा है। यह एक बड़े पहाड़ से टूटा है जो करीब 80 किलोमीटर लंबा और 20 किलोमीटर चौड़ा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हिमनद उत्तरी-पूर्वी ग्रीनलैंड आइस स्ट्रीम के अंत में है, जहां से वह जमीन से समुद्र में प्रवेश करेगा। जीईयूएस नामक सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तरी-पूर्वी ग्रीनलैंड में स्थित आर्कटिक के सबसे बड़े बर्फ के पहाड़ के पिघलने की वार्षिक दर पर ऑप्टिकल सेटेलाइट इमेजरी (उपग्रह से ली जाने वाली तस्वीरें) की मदद से नजर रखी जाता है।
1999 से अभी तक इस पहाड़ से 160 वर्ग किलोमीटर का हिमनद टूट चुका है जो न्यूयॉर्क में मैनहाटन के क्षेत्रफल से दोगुना है।
जीईयूएस के प्रोफेसर जेसन बॉक्स का कहना है कि आर्कटिक के सबसे बड़े बर्फ के पहाड़ के यूं लगातार पिघलने से हम सभी को चिंतित होना चाहिए।