मदन गुप्ता सपाटू
गणेश उत्सव 10 सितंबर से शुरू हो रहा है। शास्त्रों के अनुसार विघ्नहर्ता श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन दोपहर को हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह चतुर्थी 9 सितंबर की रात 12:19 बजे शुरू होकर 10 सितंबर की रात 9:58 बजे तक रहेगी। श्री गणेश चतुर्थी पर चित्रा नक्षत्र तथा ब्रह्म योग बनेगा, जो किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने के लिए विशेष मुहूर्त होगा। धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी के दिन व्रत, पूजा पाठ करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से झूठा आरोप या कलंक लग सकता है। इस दिन को कलंक चतुर्थी और पत्थर चौथ भी कहा जाता है।
पूजा विधि : विनायकी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान करें। लाल रंग के कपड़े पहनें। व्रत का संकल्प लें। शाम को गणेश जी की पूजा करें। पूजन के समय सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा या मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें। गणेश जी को सिंदूर लगाएं। ‘ॐ गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए दूर्वा अर्पित करें। भोग में लड्डू गणेश जी के सामने रखें। पूजा उपरांत लड्डुओं को वितरित करें फिर अपना उपवास खोलें। गणेश चतुर्थी पर कई लोग अपने घरों में गणेश भगवान की प्रतिमा बैठाते हैं और उसकी प्राण प्रतिष्ठा करते हैं। रतजगा, गणेश भगवान के भजन, अखंड दीपक और पूजा-पाठ चलता रहता है। इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश भगवान को विदाई दी जाती है। इसी के साथ यह प्रार्थना भी की जाती है कि हे गणपति बप्पा अगले साल जल्दी आना।
पूजा का शुभ मुहूर्त
10 सितंबर को सुबह 11:03 से दोपहर 01:33 बजे तक।