जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 31 मई
दिसंबर 2020 में मेयर चुनाव में हार का सामना कर चुकी भाजपा अब नगर निगम में अपना मेयर बनाने के जुगाड़ में जुट गई है। इसके लिए सदन में तीन चौथाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
हालांकि वर्तमान मेयर का कार्यकाल 2025 तक है लेकिन अभी डिप्टी मेयर और कनिष्ठ डिप्टी मेयर के चुनाव भी होने हैं। दरअसल, सदन में जिस प्रकार की गतिविधियां और पक्ष और विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं, उससे साफ है कि निकट भविष्य में भाजपा को कुछ अन्य मेंबरों का समर्थन मिल सकता है।
एचडीएफ के आप में मर्ज होने के बाद उसके दोनों सदस्य जहां भाजपा के संपर्क में हैं वहीं सत्तापक्ष के कुछ मेंबर भी भाजपा के संपर्क में हैं। एक ऐसे ही सदस्य को विधायक के आवास पर मुंह ढके आते जाते देखा गया है।
सदन में जो घमासान एक हत्यारोपी मेंबर की उपस्थिति को लेकर हुआ, उससे भी संकेत मिले कि सत्तापक्ष एक-एक मेंबर के लिए कितना चिंतित है। शहरी निकायों के प्रतिनिधियों पर चूंकि दलबदल कानून लागू नहीं होता, इसलिए किसी का साथ छोड़ने अथवा साथ देने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। बेशक तीन चौथाई समर्थन हासिल करना भाजपा के लिए फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आ रही है लेकिन केंद्र व प्रदेश में सत्ता का लाभ पार्टी को नगर निगम में मिल सकता है।
फिलहाल 20 सदस्यों वाले सदन में भाजपा के 8 सदस्य चुनाव जीतकर आए थे और 7 सदस्य मेयर समर्थित हरियाणा जनचेतना पार्टी-वी से चुनकर आए हैं। सदन में 3 सदस्य कांग्रेस तथा 2 हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट के हैं जिसका अब आम आदमी पार्टी में विलय हो चुका है लेकिन दोनों पार्षद अब स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं।
कांग्रेस का एक सदस्य चुनाव परिणाम के बाद से ही हजपा में शामिल हो गया था जिससे हजपा के सदस्यों की संख्या 8 और कांग्रेस के मात्र 2 रह गए।
मेयर को हटाने के लिए कम से कम 16 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी क्योंकि तब मेयर का अपना वोट भी डाला जाएगा और सदस्यों की संख्या तब 21 हो जाएगी।
मेयर को तीन चौथाई बहुमत से हटाया जा सकता है
शहरी निकायों के नियमों के विशेषज्ञ एवं पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वकील हेमंत ने बताया कि प्रत्यक्ष रूप से चुने गए मेयर को सदन में तीन चौथाई सदस्यों के बहुमत से हटाया जा सकता है जबकि अविश्वास प्रस्ताव के लिए आधे सदस्य होने जरूरी हैं। मालूम हो कि दिसंबर 2020 में अम्बाला नगर निगम चुनावों में मेयर का चुनाव हजपा की शक्तिरानी शर्मा ने भाजपा को हराकर जीता था।