हिसार, 9 मई (निस)
विश्वविद्यालयों को ग्रांट के स्थान पर ऋण देने की सरकार की योजना के विरोध में अब वकील भी कूद पड़े हैं, सरकार के फैसले का विरोध करते हुए अधिवक्ता धर्मेंन्द्र घणघस ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों को ग्रांट की बजाय लोन देने की योजना अव्यवहारिक है और इससे वहां पढ़नेे वाले विद्यार्थियों की शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
यह पहली बार देखा जा रहा है कि सरकार अपने ही संस्थान को ग्रांट उपलब्ध करवाने की बजाय लोन देने का पत्र जारी कर रही है। उन्होंने कहा कि अब विश्वविद्यालयों को ग्रांट मिलने से वहां प्रबंधन सही ढंग से चल रहा था, लेकिन अब ग्रांट रोककर लोन देने से हालत ये हो जाएगी कि विश्वविद्यालय उस लोन को चुकाने के लिए विद्यार्थियों पर फीस बढ़ोतरी का बोझ डालेंगे। इसके कारण बहुत से ऐसे परिवार या विद्यार्थी होंगे, जो यह बढ़ोतरी सहन नहीं कर पाएंगे और उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को बाध्य होना पड़ेगा।
उन्होंने सरकार से अपील की कि वह अपने फैसले पर विचार करें और विश्वविद्यालयों को ग्रांट देने की पुरानी योजना को ही चालू रखें ताकि वहां पढ़नेे वाले विद्यार्थियों पर लोन चुकाने का बोझ न पड़े।