हरीश भारद्वाज/हप्र
रोहतक, 12 सितंबर
केंद्र के 3 कृषि अध्यादेशों के खिलाफ प्रदेश में ‘किसान बचाओ, मंडी बचाओ’ महारैली के बाद सरकार किसानों को मनाने में जुट गयी है। शनिवार को यहां किसानों की समस्याएं सुनने पहुंची भाजपा सांसदों की टीम ने दावा किया कि करीब 20 किसान संगठनों, किसानों व अनाज मंडी व्यापारियों से बातचीत में निष्कर्ष निकला है कि इन अध्यादेशों के बारे में किसानों को असल जानकारी नहीं है। सांसदों ने यह माना कि सरकार किसानों तक इनकी जानकारी नहीं पहुंचा पाई। उन्होंने कहा कि कोरोना संबंधी नियमों व प्रतिबंधों के कारण गांव-गांव जाकर किसानों तक बात नहीं पहुंचाई जा सकी। उन्हाेंने दावा किया कि किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से ही केंद्र सरकार नयी कृषि नीति के तहत तीनों अध्यादेश लेकर आई है। उन्होंने कहा कि किसानों के सुझाव आये हैं, उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री व केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में लाया जाएगा।
सांसद धर्मबीर सिंह, नायब सिंह सैनी और सांसद बृजेंद्र सिंह की कमेटी ने स्थानीय सर्किट हाउस में विभिन्न किसान संगठनों, अनाज मंडी व सब्जी मंडी के व्यापारियों की समस्याएं और सुझाव सुने। मीडिया कर्मियों से बातचीत में सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा कि तीनों अध्यादेश एक-दूसरे के पूरक हैं और एक सूत्र में बंधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन अध्यादेशों को लाने का मकसद यही है कि कृषि के क्षेत्र में ढांचागत सुधार लाया जा सके और किसानों को उनकी फसल का लाभदायक मूल्य मिल सके। बृजेंद्र सिंह ने कहा कि एक प्रकार से किसान को खुले बाजार में अपनी उपज बेचने की आजादी दी गई है। सांसद ने कहा कि आवश्यक वस्तु कानून में बदलाव की लंबे समय से मांग की जा रही थी।
भ्रम फैला रहा विपक्ष : धर्मबीर
करनाल (हप्र) : कृषि अध्यादेशों के मुद्दे पर 3 सांसदों की कमेटी ने शनिवार को यहां पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह परिसर में विभिन्न किसान संगठनों, अनाज मंडी व सब्जी मंडी के व्यापारियों से बातचीत की। सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि अध्यादेशों को लेकर विपक्ष भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा है। वास्तविकता यह है कि इन अध्यादेशों से न तो मंडी की व्यवस्था समाप्त होगी और न ही न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त किया जाएगा। हर हाल में किसान को उसकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन अध्यादेशाें के तहत किसानों को एक राष्ट्रीय ढांचा मिलेगा, जिससे कृषि व्यवसाय से जुड़ी कंपनियां, प्रोसेसर, थोक व्यापारी और निर्यातकों तथा किसानों के बीच पहले से कीमतों पर समझौते की छूट होगी।