सुभाष चौहान/निस
अम्बाला, 23 सितंबर
अम्बाला, पंचकूला व यमुनानगर जिलों के करीब सात हजार गन्ना उत्पादक किसान परिवारों के लिये एक बड़ी खबर है। सरकार ने 13 सितंबर को इस इलाके की नारायणगढ़ चीनी मिली को बंद करने के जो फरमान जारी किये थे, उसे वापस ले लिया गया है।
राज्य सरकार के गन्ना विभाग से नये सिरे से एक पत्र जारी किया है जिसमें बकायदा 13 सितंबर वाले पत्र को वापस लिया गया है। विभाग ने नये पत्र में कहा कि नारायणगढ़ चीनी मिल अपना पेराई सत्र शुरू करना चाहती है, इसलिये अब इस मिल को बंद करने का कोई इरादा नहीं है। साथ ही विभाग ने उस फरमान को भी वापस ले लिया है जिसमें सरकार ने अम्बाला, पंचकूला व यमुनानगर जिलों के किसानों का गन्ना यमुनानगर के सरस्वती मिल, शाहबाद के कोआप्रेटिव मिल और भादसों के पिकाडली चीनी मिल में बांट दिया था।
यूं बैकफुट पर आई सरकार
असल में नारायणगढ़ चीनी मिल को बंद कर यहां का गन्ना अन्य मिलों में डालने का वहां के किसानों ने विरोध शुरू कर दिया था। जानकारी के अनुसार भादसों, यमुनानगर व शाहबाद चीनी मिलों के किसानों ने सीएम को पत्र देकर कहा था कि वह नारायणगढ़ चीनी मिल क्षेत्र का गन्ना अपने मिलों में नहीं आने देंगे, क्योंकि उनके यहां पहले ही किसान मिलों से परेशान हैं। समय पर पेराई नहीं होती और भुगतान में भी दिक्कत आती है। ऐसे में दूसरे क्षेत्र का गन्ना उनकी परेशानियाें को ओर अधिक बढ़ा देगा।
अब मिल में नया संकट
इसी बीच नारायणगढ़ चीनी मिल में नया संकट खड़ा हो गया है। यहां के कर्मचारियों ने मिल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनकी मांग उचित वेतन की है। कर्मचारियों के धरने के चलते मिल की मरम्मत प्रक्रिया को लेकर प्रबंधन को दिक्कत आ रही है। क्योंकि हर पेराई सत्र से पहले चीनी मिल की बड़े स्तर पर मरम्मत होती है। कर्मचारियों की नाराजगी के कारण मिल में काम नहीं हो रहा है।