नयी दिल्ली, 11 जुलाई (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पुर्तगाल के समक्ष जताई प्रतिबद्धता का सम्मान करने और 1993 के मुंबई बम धमाकों के मामले में गैंगस्टर अबू सलेम की 25 साल की सजा पूरी होने पर उसे रिहा करने के लिए केंद्र बाध्य है। सलेम ने कहा था कि 2002 में उसके प्रत्यर्पण के लिए भारत द्वारा पुर्तगाल को दिए गए एक आश्वासन के अनुसार उसकी सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती है। उसने कहा था कि यह आश्वासन पुर्तगाल को तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा दिया गया था।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत शक्ति के प्रयोग और सजा पूरी होने को लेकर राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के तहत भारत के राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए बाध्य है। पीठ ने कहा, ‘आवश्यक कागजात 25 वर्ष पूरे होने के एक महीने के अंदर आगे बढ़ाए जाएं। वास्तव में, सरकार 25 साल पूरे होने पर एक महीने की समयावधि के भीतर सीआरपीसी के तहत छूट के अधिकार का प्रयोग कर सकती है।’केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा था कि भारत संघ द्वारा 17 दिसंबर, 2002 के अपने आश्वासन का सम्मान किए जाने का सवाल तभी उठेगा जब 25 साल की अवधि समाप्त हो जाएगी जो कि 10 नवंबर, 2030 है।
विशेष टाडा अदालत ने 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन और उनके चालक मेहंदी हसन की हत्या किए जाने के एक अन्य मामले में 25 फरवरी 2015 को सलेम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।