यूं तो भारत में डब्ल्यूडब्ल्यूई का क्रिकेट जैसा रुतबा कभी नहीं रहा। इस खेल को हम पहले जॉनसीना, अंडरटेकर, द रॉक जैसे दिग्गजों के नाम से जानते थे। लेकिन बाद में भारतीय महाबली खली के दांवों से ऐसी खलबली मची कि यह खेल खासा लोकप्रिय हुआ। इधर डब्ल्यूडब्ल्यूई में एक नये भारतीय नक्षत्र का उदय हुआ है। उसका अनूठा लुक हमारी पौराणिक कथाओं के महाबली का अहसास कराता है। मजबूत शारीरिक सौष्ठव, करीब साढ़े छह फुट की कद काठी और गरजती आवाज ध्यान खींचती है। जब वे माथे पर त्रिपुंड का निशान लगाये, गले में रुद्राक्ष की माला और बाजू में राम लिखकर उतरते हैं तो सबकी निगाहें उन पर टिक जाती हैं। उनके काले व संन्यासी जैसे वस्त्र ध्यान खींचते हैं। हालांकि, उनकी यह पारी हाल-फिलहाल में ही शुरू हुई है,लेकिन तमाम मैचों में उनकी कामयाबी नई उम्मीदें जगाती है।
ग्रेट खली के बाद भारत की यह सनसनी रेसलिंग में धमाल मचा रही है, जिसमें भारतीय पौराणिक छवि का भी बड़ा हाथ है जो सबका ध्यान आकर्षित करती है। वैसे सफलता के इस मुकाम तक पहुंचना उनके लिये इतना आसान नहीं था। उत्तर प्रदेश के रविदास नगर जनपद स्थित गोपीगंज के एक गांव में निम्न मध्यवर्गीय परिवार से निकलकर अमेरिका तक अपनी जमीन तैयार करने वाले वीर महान का जीवन खासा संघर्ष भरा रहा है। आठ अगस्त, 1988 में जन्मे वीर का असली नाम रिंकू सिंह राजपूत था। पिता ट्रक चालक की भूमिका में किसी तरह बड़े परिवार का लालन-पालन कर रहे थे। नौ बच्चों में से एक रिंकू की परवरिश किन परिस्थितियों में हुई होगी, अंदाजा लगाना आसान है। लेकिन उनमें एक ललक थी आगे बढ़ने की। खेल व पहलवानी उनका जुनून था। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में उन्होंने भाला फेंकने का कड़ा अभ्यास किया जिसका उन्हें अच्छा प्रतिसाद भी मिला। वे राष्ट्रीय स्तर पर जूनियर प्रतिस्पर्धा में पदक हासिल कर पाये। खेलों में अपना मुकाम तलाशने की ललक उन्हें लखनऊ के गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज तक ले गई।
दरअसल, चमक-दमक की दुनिया से रिंकू का परिचय बेसबॉल के एक टैलेंट हंट शो ने करवाया। रिंकू ने कभी अाभिजात्य वर्ग का खेल बेसबॉल नहीं खेला था। वैसे भी यह खेल भारत में ना के बराबर ही खेला जाता है। लेकिन जीवन के शुरुआती दिनों में भाला फेंकने के अनुभव को इन्होंने तेज बेसबॉल फेंकने का माध्यम बना डाला। लंबा कद व मजबूत शरीर सौष्ठव इसमें मददगार बना। जुनून के धनी रिंकू ने कालांतर 140 किमी प्रतिघंटा की गति से बेस बॉल फेंककर ‘दि मिलियन डॉलर आर्म’ नामक रियलिटी शो मुकाबला जीतने में कामयाबी हासिल कर ली। इस टैलेंट हंट शो ने फिर तो रिंकू की दुनिया बदल दी। उन्हें पैसा व शोहरत मिली। बताते हैं कि इस अनूठी कामयाबी को दर्शाती एक फिल्म का निर्माण भी हुआ। साथ ही इस स्पर्धा ने रिंकू को अहसास कराया कि उनके लिये बेसबॉल में किस्मत चमकाने का अवसर भी है, जिसके लिये उन्हें भारत में अवसर नहीं मिलेंगे। सो वे कालांतर अमेरिका चले गये। कई टीमों में उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई। कालांतर पीटर्सबर्ग पाइरेट्स के साथ वे जुड़ने में कामयाब हुए। उन्होंने खुद को इस खेल के अनुरूप ढाला। करीब छह साल के खेल में उन्होंने अपनी गति व लय बढ़ाई। कई अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में भाग लेकर अपनी पहचान बनायी।
फिर एक समय ऐसा आया कि रिंकू को बेसबॉल में अलग पहचान बनती नजर नहीं आई। दूसरी तरफ लंबे कद व मजबूत काठी ने पेशेवर कुश्ती की तरफ जाने को प्रेरित किया। इस क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं को महसूस करते हुए उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई के साथ अनुबंध कर लिया। सोचा कि कुछ भारतीय खिलाड़ियों के साथ वे टीम बनायें। इसके लिये उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई के भारतीय खिलाड़ी सौरव गुर्जर, जिंदर महाल आदि के साथ मिलकर द ‘इंडस शेर’ नामक टीम बनायी। शुरुआत में वे रिंकू के नाम से ही खेले मगर बाद में विशिष्ट लुक और नाम के साथ रिंग में उतरे। टीम ने क्रमवार एक दर्जन मुकाबले जीतकर धमाल भी मचाया।
आगे चलकर महत्वाकांक्षी व जुनूनी रिंकू ने टीम से इतर अलग पहचान बनाने की ठानी। उन्हें नया नाम वीर महान रास आया। इसे उन्होंने भारतीय पौराणिक प्रतीकों व वेशभूषा से विशिष्टता प्रदान की, जो दर्शकों का ध्यान खींचने लगी। फिर एक स्वतंत्र रेसलर के रूप में उनकी नई पारी शुरू हुई और डब्ल्यूडब्ल्यूई के संगठन रॉ के साथ अनुबंध कर लिया। उनका लंबा कद, मजबूत काठी और विशिष्ट साज-सज्जा डब्ल्यूडब्ल्यूई प्रेमियों को रास आने लगी। लंबे-घने बाल, लटकती दाढ़ी, मस्तक पर चंदन तथा छाती पर लिखा मां शब्द उनकी विशिष्ट पहचान बनाने में कामयाब रहा।
जोशो-खरोश से रिंग में उतरने वाले वीर महान का प्रभावी व्यक्तित्व मुकाबले में उतरे पहलवान पर हावी हो जाता और वे मिनटों में अपने प्रतिद्वंद्वी को पछाड़ देते हैं। महज नब्बे सेकेंड में चुनौती देने वाले पहलवान को चित करने की खूब चर्चा हुई। बताते हैं वीर महान महज दो मिनट के भीतर अपने अधिकांश मुकाबले जीत लेते हैं जो उनके तहलका मचाने की वजह बनता है।
बहरहाल, आज भारतीय वीर महान डब्ल्यूडब्ल्यूई की दुनिया की नई सनसनी हैं। उनका नाम व लुक उन्हें सोशल मीडिया में सुर्खियों में रखता है। वे भारतीय पौराणिक वीर की वेशभूषा और आकर्षित करने वाले नाम के चलते देश-दुनिया में लगातार सुर्खियों में रहते हैं। उनकी चुस्ती-फुर्ती व तकनीक तथा शारीरिक ताकत लुभाती है। उनकी उपस्थिति भारतीय पौराणिक कहानियों में लोकप्रिय ‘मल्ल युद्ध’ के गौरवशाली अतीत की याद दिलाती है।