चंडीगढ़, 9 सितंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा में परंपरागत खेती की जगह नई शुरुआत करने वाले किसानों को सरकार सम्मानित करेगी। ऐसे सफल किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उन किसानों को पहचानने और नामित करने का फैसला सरकार ने लिया है। ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत बड़ी संख्या में किसानों ने धान की जगह मक्का की खेती करने का फैसला लिया है। लगभग 2500 हेक्टेयर यानी 6250 एकड़ भूमि में मक्का की अतिरिक्त खेती होगी।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बुधवार को यहां कहा कि सफल किसानों को ‘सफल किसान उस्ताद’ से नवाज़ा जाएगा। ये सफल किसान अन्य किसानों के बीच जाकर जागरूकता बढ़ाएंगे। कौशल ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा की गई घोषणा के अनुसार कुछ सफल मक्का उत्पादकों की पहचान की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ये सफल किसान विशेष रूप से गिरते भूजल स्तर वाले क्षेत्रों में धान उत्पादकों को भी ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत पंजीकृत करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। वे बताएंगे कि यह योजना जहां उन्हें वित्तीय प्रोत्साहन प्राप्त करने में फायदेमंद साबित होगी वहीं मक्का की उपज का अच्छा-खासा न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 प्रति क्विंटल भी मिलेगा। कौशल ने कहा, सरकार के इन कदमों से किसानों को धान से मक्का की बिजाई की तरफ लाकर गिरते भूजल संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। मक्का का उत्पादन पशुपालन के क्षेत्र में भी फायदेमंद साबित होगा। चूंकि मक्का और उसके चारे का उपयोग मुर्गी और दुधारू पशुओं को खिलाने के लिए किया जाता है।
सफल किसान दूसरों को करेंगे शिक्षित
ये सफल किसान ‘फील्ड डेज’ प्रोग्राम की मेजबानी करेंगे, जहां वे धान की अपेक्षा मक्का की बिजाई करने के फायदों के बारे में दूसरों को शिक्षित करेंगे। वे उपज बढ़ाने की तकनीक समझाएंगे। वे अन्य किसानों को आश्वस्त करेंगे कि कि मक्का उगाना न केवल आर्थिक रूप से लाभदायक हो सकता है बल्कि धन व श्रम की भी कम आवश्यकता होती है। पानी की बचत के लिए मक्का एक उत्कृष्ट विकल्प है।