वीएन दास/निस
अयोध्या, 7 सितंबर
राम मंदिर का नक्शा एडीए से अप्रूव होने के बाद अब निर्माण गतिविधियां तेज हो गई हैं। निर्माण के 5 एकड़ क्षेत्र की नींव की मजबूती को हाई तकनीक पर ढालने के लिए आईआईटी चेन्नई व सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की इंजीनियरिग टीमें परीक्षण में लगी हैं। मानक यह है कि मंदिर की मजबूती एक हजार साल तक बनी रहे।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक नींव की मजबूती लेकर हर तरह के परीक्षण किए जा रहें हैं। इसके पिलर उसी हाई तकनीक से खड़े किए जाएंगे, जैसे नदियों के पुलों को खड़ा किया जाता है। इसी बात को ध्यान में रख कर आइआईटी की टीम मृदा परीक्षण के साथ नींव में प्रयुक्त होने वाले मैटेरियल का भी परीक्षण कर रही है। जांच के बाद ही मंदिर की नींव की खुदाई का काम शुरू होगा।
लोहे का प्रयोग नहीं : बताया गया है कि नींव पर 1200 पिलर खड़े किए जाएंगे। हर पिलर के लिए एक मीटर व्यास का गड्ढा 35 मीटर गहरा खोदा जाएगा। जबकि इसकी नींव 200 फीट गहरी रहेगी। नागर शैली के राम मंदिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
मंदिर परिसर पहुंची मशीनें
मंदिर की नींव की खुदाई व पिलर की पाइलिंग करने के लिए मशीनें मंदिर परिसर में पहुंच गई हैं। एलएंडटी की कई मशीनें अभी रास्ते में हैं जो एक दो दिनों में अयोध्या पहुचने वाली हैं। मशीन इंजीनियर एके यादव के मुताबिक पाइलिंग मशीन से तेजी से पिलर की नींव व गड्ढे की बोरिंग की जाएगी।
4 महीने के बाद शुरू होगी पत्थर की जुड़ाई
मंदिर के आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा के मुताबिक एलएंडटी की टीम को नींव तैयार करने में 4 महीने लग सकते हैं। पत्थरों की जुड़ाई उन्हीं तराशे गए पत्थरों से होगी जो मंदिर की अयोध्या कार्यशाला में तराश कर रखें गए हैं। इनकी सफाई व चमकाने का काम चल रहा है जो 2 महीने मंे पूरा हो जाएगा। पत्थरों के बीच तांबे की प्लेटें रख कर इन्हें जोड़ा जाएगा। जिससे यह मजबूत व भूकंपरोधी बना रह सके।