अम्बाला शहर, 12 अगस्त (हप्र)
लगातार दूसरे दिन कुछ समय के लिए हुई बरसात ने हूडा सेक्टरों और नगर के कई क्षेत्रों को जलमग्न करके रख दिया, जिससे लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई। प्रशासन के तमाम पानी निकासी इंतजामों की पोल खुलती नजर आई।
जंडली पुल की ओर से शहर में आना हो तो पानी अपना नाका लगाए हुए है। उसके बाद मॉडल टाउन की मुख्य मार्ग, इनको रेलवे पुल के नीचे, सेक्टर 9 से मानव चौक तक जाने वाली मुख्य सड़के, आईटीआई के सामने, टीबी अस्पताल रोड, नाहन हाउस, नदी मोहल्ला सहित तमाम निचले इलाके पानी से भरे पड़े हैं। लगातार सफाई करवाने के बावजूद नाले निकासी तेजी से कर पाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं। पॉश सेक्टर कहे जाने वाले सेक्टर-10 के हालात कुछ घंटे की बरसात से बदतर हो जाते हैं। यही हाल सेक्टर-9 का है। पानी निकासी को लेकर प्रशासन द्वारा न तो उचित व्यवस्था हो रही है और न ही पानी निकासी हेतू पंप भेजे जा रहे हैं। नई गलियां बनने के बावजूद सारा ड्रेनेज सिस्टम फेल है।
सेक्टर-10 का ड्रेनेज सिस्टम हुआ फेल, लोग परेशान
सेक्टर-10 वेलफेयर के पूर्व प्रधान नीरू वढेरा की अध्यक्षता में स्थानीय निवासियों ने नगर निगम आयुक्त पार्थ गुप्ता से मुलाकात की। उन्होंने हालात को समझते हुए सिटी प्रोजेक्ट ऑफिसर अनिल राणा व उनकी टीम को तुरन्त मौके पर भेजा। सेक्टर के केवल कृष्ण, केएस सैनी, एसएस कारवाल व रामकुमार गुप्ता आदि ने बताया कि वह नर्क जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं।
पंपों की सहायता से निकाला बरसाती पानी
अम्बाला शहर (हप्र) : शहर क्षेत्र में आज प्रात: बरसात के कारण जगाधरी गेट, नाहन हाउस, बांसों वाला चौक, माडल टाउन, ओल्ड दिल्ली रोड, सेक्टर-9 हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी आदि क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति का नगर निगम की टीम ने जायजा लेते हुए उचित कदम उठाये तथा बरसात के पानी को पम्पों की सहायता से दूर करने का काम किया। नगर निगम आयुक्त डॉ. पार्थ गुप्ता ने कार्यकारी अधिकारी, कार्यकारी अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, सफाई निरीक्षक तथा उप सफाई निरीक्षकों को जल निकासी हेतु आवश्यक दिशानिर्देश दिए थे।
घग्गर तक बनाया जाए पक्का नाला
मार्केट कमेटी के पूर्व वाइस चेयरमैन भारतभूषण अग्रवाल ने कहा कि हर बरसाती मौसम में नागरिकों को बाढ़ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण पानी निकासी का उचित प्रबंध नहीं होना है। उन्होंने कहा कि शहर, बलदेव नगर और सेक्टरों के आसपास की पूरी आबादी के लिए तीन पक्के नाले क्षेत्र में बनाए जाएं जो घग्गर में निकासी कर सकें। अन्यथा हर वर्ष खर्च किया जाने वाला करोड़ों रुपया पानी में ही बहता नजर आएगा।