जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 12 अगस्त
पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर ने आज पीयू की फैकल्टी, छात्रों, पूर्व छात्रों, स्टाफ (मौजूदा और रिटायर हो चुके) को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के मौके पर अपने ऊपर लगाये यौन शोषण के आरोपों की जांच वाली रपट भेजी हैं। पीयू की ही एक वरिष्ठ महिला प्रोफेसर ने प्रो. ग्रोवर पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाये थे जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अगर शिकायतकर्ता चाहे तो विश्वविद्यालय स्तर पर इसकी जांच करायी जा सकती है। हरियाणा की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी धीरा खंडेलवाल की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी को इसका जिम्मा सौंपा गया था। जांच कमेटी के 3-4 बार बुलाने पर भी जब महिला प्रोफेसर जांच में शामिल नहीं हुई तो कमेटी ने बिना कोई जांच किये अपनी रपट चांसलर एम वैंकेया नायडू को भेज दी। कल 11 अगस्त को ही इस रपट की कॉपी प्रो. ग्रोवर को चांसलर की ओर से भेजी गयी है। उन्होंने रपट का हवाला देते हुए कहा कि कुलपति रहते हुए उन पर लगाये सभी आरोप झूठे व दुर्भावनापूर्ण थे। उन्होंने रिपोर्ट और अपनी ओर से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दिये गये जवाब सहित सभी दस्तावेज व रपटें भी भेजीं हैं जिसमें चांसलर को नंबर-1 आरोपी और उन्हें नंबर-3 आरोपी बनाया गया था। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर वे सभी के साथ इस रपट को सांझा कर रहे हैं क्योंकि वे अपने अधिकारों को लेकर सदा लड़ते रहे, उनके आचरण पर विचार करें और गीता से सबक सीखें। प्रो. ग्रोवर ने 6 मई की सीनेट की प्रोसीडिंग का निचोड़ भी फारवर्ड किया है और कहा है कि पूरी प्रोसींडिग पीयू की वेबसाइट पर सब उपलब्ध है।
फैकल्टी मैंबर ने जताया एतराज
इस बीच एक फैकल्टी मैंबर डॉ. सुपिंदर कौर ने प्रो. ग्रोवर द्वारा सोशल मीडिया ग्रुप में ऐसी पोस्ट डालने पर एतराज जताया और उन्हें आउटसाइडर बताते हुए नसीहत दे डाली कि वे खुद ही ग्रुप छोड़ जायें । उन्होंने कहा कि कोई जांच या रपट हमेशा भरोसे के लायक नहीं होती। उन्होंने महिला गरिमा का हवाला भी दिया और कहा कि ग्रुप की दूसरी महिला सदस्य भी शायद ऐसा ही महसूस कर रही होंगी। उन्होंने प्रो. ग्रोवर द्वारा प्रयुक्त ‘मैडम एक्स’ शब्द पर कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि यह कोई कोर्ट रूम या इनक्वायरी कमेटी नहीं है। इस पर प्रो. ग्रोवर ने कहा कि जांच कमेटी की रिपोर्ट और कोर्ट आर्डर यूनिवर्सिटी से ही जुड़े हैं क्योंकि पीयू का कुलपति आरोपी था और उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार है।