अमेरिका, 25 जुलाई (एजेंसी)
अमेरिका और चीन के संबंधों में बढ़ रहे तनाव के बीच ह्यूस्टन में चीनी वाणिज्य दूतावास शुक्रवार को आधिकारिक रूप से बंद हो गया। चीन के कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के तरीके, शिंजियांग में उइगर मुसलमानों पर उसकी कार्रवाई और हांगकांग में उसके द्वारा विवादास्पद सुरक्षा कानून लागू करने के कारण हालिया कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, अमेरिका ने चीन से ह्यूस्टन में अपने महावाणिज्य दूतावास को 72 घंटे में बंद को कहा था। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने आरोप लगाया कि यह दूतावास ‘जासूसी एवं बौद्धिक संपदा की चोरी का गढ़’ है। अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों ने भी इस वाणिज्य दूतावास पर अमेरिका में चीन के जासूसी अभियानों में शामिल होने का आरोप लगाया है। ह्यूस्टन वाणिज्य दूतावास से चीन का झंडा उतार दिया गया है और अमेरिकी अधिकारियों ने इस इमारत को कब्जे में ले लिया है। चीन के वाणिज्य दूतावास के कर्मी शुक्रवार को इमारत से अपना सामान ले गये तथा करीब 30 प्रदर्शनकारियों को बैनरों के साथ जश्न मनाते देखा गया। इमारत में पिछले चार दशक से चीन सरकार का कार्यालय था। चीन ने भी पलटवार करते हुये शुक्रवार को चेंगदू स्थित अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास बंद करने का आदेश दिया। दोनों देशों के बीच पहले से तनाव और बढ़ गया है।
ऑफिस बंद होते ही एजेंटों का प्रवेश
सीएनएन की खबर के मुताबिक जैसे ही चीनी राजनयिकों ने इमारत खाली की वैसे ही कई काले रंग की एसयूवी कार, ट्रक, दो सफेद वैन और ताला ठीक करने वालों की एक वैन इमारत परिसर में दाखिल हुईं।
चीन ने जताया विरोध
बीजिंग (एजेंसी) : चीन ने ह्यूस्टन में अपने बंद वाणिज्य दूतावास में अमेरिकी अधिकारियों के बलपूर्वक प्रवेश को लेकर राजनयिक विरोध दर्ज कराते हुए अमेरिका की इस कार्रवाई पर ‘आवश्यक प्रतिक्रिया’ देने की बात कही। अमेरिकी संघीय एजेंट और कानून प्रवर्तन अधिकारी शुक्रवार को ह्यूस्टन में स्थित चीनी वाणिज्य के बंद होने के बाद उसमें घुस गए थे। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने वाणिज्य दूतावास में अमेरिकी कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बलपूर्वक प्रवेश के खिलाफ कड़ा विरोध और असंतोष प्रकट किया है। साथ ही राजनियक विरोध भी दर्ज कराया है। मंत्रालय ने कहा,‘चीन इस संबंध में उचित तथा आवश्यक प्रतिक्रिया देगा।’