नंूह मे सोमवार को हिंसा के दौरान उपद्रवियों द्वारा वाहनों में लगाई आग। -एजेंसी
विवेक बंसल/हप्र
गुरुग्राम, 31 जुलाई
नूंह में सोमवार को एक धार्मिक यात्रा पर हुए कथित हमले के बाद दो समुदायों में फैली व्यापक हिंसा में एक होमगार्ड की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। घायलों में एक डीएसपी व इंस्पेक्टर सहित पुलिस के कई जवान शामिल हैं। उपद्रवियों ने 80 से अधिक वाहनों को आग लगा दी। एक पुलिस चौकी पर गोलीबारी की और लगभग 2000 लोगों को मंदिर में बंधक बना लिया। बाद में पुलिस ने उन्हें छुड़वाया। प्रदेश सरकार ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिले में धारा 144 लागू कर दी है। दो अगस्त तक इंटरनेट सेवा अस्थायी रूप से बंद कर दी गई है। गुरुग्राम, पलवल और रेवाड़ी से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया है। एडीजीपी कानून ममता सिंह खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। केंद्र की ओर से केंद्रीय सशस्त्र बलों की 20 कंपनियां हरियाणा भेजी गई हैं। नलहड़ महादेव मंदिर से लगातार गोलीबारी की खबरें आ रही हैं। उधर, हिंसा के बाद गुरुग्राम और पलवल जिलों में तनाव देखने को मिला। फरीदाबाद में मंगलवार को शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राज्य के गृह मंत्री अनिल विज पल-पल की रिपोर्ट स्थानीय प्रशासन व पुलिस अधिकारियों से ले रहे हैं। सीएम ने लोगाें से शांति बनाए रखने की अपील की है।
घायल पुलिसकर्मी। -एजेंसी
विज ने कहा कि अतिरिक्त बलों को नूंह भेजा गया है और फंसे लोगों को बचाने के लिए केंद्र द्वारा 3 कंपनियों को हवाई मार्ग से भेजा गया है। इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं और हम शांति और कानून व्यवस्था बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं।
पुलिस के अनुसार, हिंसा उस समय हुई जब विश्व हिंदू परिषद की बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा को नूंह में खेड़ला मोड़ के पास युवाओं के एक समूह ने रोक दिया। कथित तौर पर जुलूस पर पथराव किया गया और जुलूस में शामिल चार कारों को आग लगा दी गई। जुलूस में शामिल लोगों ने भी कथित तौर पर जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद ये झड़पें पूरे नूंह में फैल गईं। नूंह के एसपी वरुण सिंगला छुट्टी पर हैं। ऐसे में कार्यवाहक एसपी पलवल पुलिस बल के साथ पहुंचे। लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने से स्थिति और खराब हो गई। स्थानीय पुलिस या डीसी द्वारा कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। उपद्रव के दौरान गांव सिंगार के मंदिर में महंत सहित 12 लोगों को करीब 4 घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया। हालांकि बाद में उन्हें छुड़वा लिया गया। हिंसा में होमगार्ड नीरज की मौत हो गई। जबकि होडल डीएसपी सज्जन के सिर में चोट लगी है। इंस्पेक्टर अनिल के पेट में गोली लगी है। इसके अलावा, 5 अन्य मुलाजिम जख्मी हैं।
उधर, नूंह जिले के बड़े उलेमा मौलाना याहया तिरवाड़ा और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरियाणा वक्फ बोर्ड के प्रशासक जाकिर हुसैन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बात कर नूंह में अतिरिक्त फोर्स तैनात करने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री ने हरियाणा भाजपा प्रभारी बिप्लब देब को नूंह की स्थिति से अवगत करवाया है।
”बातचीत के जरिये बड़ी से बड़ी समस्या को सुलझाया जा सकता है। नूंह में पैदा हुई स्थिति में हर आम आदमी की जिम्मेदारी है कि वह न तो अफवाहों को बढ़ावा दे और न इस ओर ध्यान दे। मेरा सभी लोगों से विनम्र अनुरोध है कि शांति बनाए रखें। स्थिति पर हमारी पूरी निगाह है।” -मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री
”नूंह में अतिरिक्त पुलिस फोर्स भेज दी है। आसपास के जिलों में भी पुलिस संख्या बल बढ़ाया है। केंद्र सरकार से भी बात हुई है और लोगों को एयरलिफ्ट करने के लिए तीन कंपनियों को एयरड्राप किया जा रहा है। दो अगस्त तक इंटरनेट सेवाएं बंद की हैं। लोग अफवाहों से बचें।” -अनिल विज, गृह मंत्री
गुरुग्राम जिले में भी तनाव
नूंह में हिंसा के बाद गुरुग्राम में भी तनाव देखने मिला। यहां राजीव चौक पर लोगों ने जाम लगा दिया। मानेसर में हिंसा का असर दिखा। सोहना में हमले के विरोध में पंचायत हुई, वहां दूसरे पक्ष के लोगों ने हमला बोल दिया। दोनों तरफ से पथराव हुआ। हवाई फायर किये जाने की भी सूचना है। जब गुरुग्राम से पुलिस बल मेवात जा रहा था तो सोहना में उन्हें भीड़ के विरोध का सामना करना पड़ा। पुलिस के कई वाहन तोड़ दिए गए। गुरुग्राम सीआईए के इंस्पेक्टर अनिल कुमार और उनके कई साथी जख्मी हो गए। उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गुरुग्राम में भी जिलाधीश एवं डीसी निशांत कुमार यादव ने धारा 144 लागू कर दी है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।