एक बार दार्शनिक अरस्तू के पास कुछ बगावती नागरिक एकत्र हो गये। उनसे सवाल-जवाब का दौर चला। अरस्तू अपने गुरु प्लेटो का संदर्भ देते हुए उनके हर सवाल का संतोषजनक जवाब दे चुके तो एक मतवाले ने भी सवाल पूछा, ‘आप हर बात में उपयोगिता और सकारात्मकता का उदाहरण दे रहे हैं, तो जरा-सा यह बता दीजिये कि पास ही जो यह कूड़े का भंडार है और जो गंदे पानी का नाला है इसे भी आप लाभदायक कहना चाहेंगे।’ ‘अरे, बिलकुल ये लाभदायक हैं।’ अरस्तू ने कहा, ‘कहीं आग लग जाने पर यह नाले का पानी अच्छी तरह से आग बुझा सकता है और यह कूड़े का भंडार अगर जमीन में दबा दीजिये तो एक सप्ताह में कीमती खाद का रूप ले सकता है।’
प्रस्तुति : पूनम पांडे