सत्यव्रत बेंजवाल
डॉ. ओमप्रकाश सेतिया द्वारा अपने स्वाध्याय काल में किया गया यजुर्वेद के 250 मंत्रों का संचयन ‘यजुर्वेद उद्यान से चुने पुष्प’ पुस्तक रूप में प्रकाशित किया गया है। इससे पूर्व भी उनकी कुछ पुस्तकें धार्मिक संदर्भ में प्रकाशित हुई हैं।
‘यजुर्वेद’ हिन्दुओं का आधारभूत धार्मिक ग्रंथ है। वेद भारतीय संस्कृति में सबसे प्राचीन ग्रंथ और सनातन धर्म का मूल भी है। ‘यजुर्वेद’ में यज्ञों के विधि-विधानों व नियमों का संकलन मिलता है। यजुर्वेद हिन्दू धर्म के चार वेदों में से एक महत्वपूर्ण धर्मग्रंथ है, यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिए मंत्र यजुर्वेद में हैं। ‘यजुर्वेद’ से आर्यों के धार्मिक व सामाजिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है, उनके समय की वर्ण-व्यवस्था तथा वर्णाश्रम की झांकी भी यजुर्वेद में है। ‘यजुर्वेद’ (पूजा ज्ञान या अनुष्ठान ज्ञान के रूप में भी जाना जाता है) पाठ, अनुष्ठान पूजा, सूत्र, मंत्र और पूजा समारोहों में उपयोग किए जाने वाले मंत्रों का एक संग्रह है।
लेखक का मानना है कि वेद मनुष्य के लिए ऐसा मार्ग बताता है जिस पर चलकर जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत कोई भी कष्ट न आए। वेद संसार का आदि ईश्वरीय ज्ञान है और जीवन के निर्माण का वास्तविक आधार है।
लेखक ने यजुर्वेद के मंत्रों को चुनकर हिन्दी में व्याख्या करके पठनीय एवं शिक्षाप्रद बनाया है। यजुर्वेद के याज्ञिक प्रक्रिया के कर्मकाण्डीय स्वरूप को सृष्टियज्ञ, ज्ञान यज्ञ एवं ईश्वर स्तुति प्रार्थना, उपासना के मंत्रों का संग्रह भी इसी वेद से किया है। सेतिया ने इन मंत्रों का संकलन कर सराहनीय कार्य कर किया है? वेदोक्त ज्ञान मनुष्य जीवन, परिवार, राष्ट्र और शांति का द्योतक है! इस पुस्तक में संकलित श्लोकों से लेखक ने प्रयास किया है कि जनमानस स्वाध्यायशील बनें, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को प्राप्त करें, क्योंकि जहां वेद ज्ञान है वहां स्वर्गमय जीवन बनता है।
पुस्तक : यजुर्वेद उद्यान से चुने पुष्प लेखक : डॉ. ओम प्रकाश सेतिया प्रकाशक : महेंद्रा पब्लिशिंग हाउस, चंडीगढ़ पृष्ठ : 128 मूल्य : रु. 150.