धार्मिक प्रकृति की एक शिष्या ने यहूदी धर्म चिंतक बाला शेम से एक दिन कहा, ‘मैंने प्रभु भजन और धर्म-ग्रन्थों के स्वाध्याय में दीर्घकाल बिताया है, किन्तु मुझमें कोई सुधार नहीं हुआ है। मैं अब भी एक अति सामान्य और अज्ञानी औरत ही हूं।’ बाला शेम ने उत्तर दिया, ‘तुम्हें यह ज्ञानोदय हुआ है कि तुम एक सामान्य एवं अज्ञानी महिला हो, क्या यह कम महत्व की सिद्धि है? तुम्हें तो निस्संदेह महत्वपूर्ण सिद्धि प्राप्त हो चुकी है।’
प्रस्तुति : सुरेन्द्र अग्निहोत्री