बिखरे सुमन, एक बार फिर, प्रखर हुआ मौन, लफ्जों के सौदागर, चुप बोलती है और शजर थकते नहीं, के बाद राज गुप्ता नया काव्य संकलन हिमशिखा लेकर आई हैं। इसमें 138 काव्य रचनाओं का संकलन है। रचनाओं से बोध होता है कि गहरे आत्मचिंतन के साथ कवयित्री जिजीविषा के जीवट में विश्वास करती हैं। वहीं जीवन के सुकोमल अहसासों की भी सघन अभिव्यक्ति रचनाओं में मुखरित होती है। कहीं वह मुखौटे उतारने का काम भी करती है।
पुस्तक : हिमशिखा रचनाकार : राज गुप्ता प्रकाशक : अपोलो प्रकाशन, राजापार्क जयपुर पृष्ठ : 128 मूल्य : रु. 225.