ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 19 अगस्त
पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने कहा है कि राज्यमंत्री कमेलश ढांडा ने अपनी विशेषाधिकार ग्रांट अपने रिश्तेदारों व चहेेते धन्नासेठों को बांट दी। जबकि इस ग्रांट से वे हलके के गरीब लोगों की मदद कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनके पीछे घूम रहे हजारों गरीब कार्यकर्ता अपने कार्यों के लिए भटक रहे हैं, लेकिन राज्यमंत्री ने गरीब लोगों को दी जाने वाली ग्रांट आयकर भरने वाले अमीर लोगों को बांट दी।
माजरा ने अपने आवास पर पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव में बेचारी का लबादा ओढ़कर वोट हथियाने के बाद राज्यमंत्री को गरीब याद ही नहीं रहे हैं। वे गरीब, जिनके सिरों पर छत नहीं हैं, राज्यमंत्री उन्हें इस ग्रांट से मदद दे सकती थीं।
माजरा ने यहां तक आरोप लगाए कि जिन सक्षम संस्थाओं को 30 से 50 लाख रुपये तक की ग्रांट दी गई है, उसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इस ग्रांट को संस्थाओं के नाम पर जारी करके बंदरबांट की गई है। माजरा ने खुलासा करते हुए कहा कि वर्ष 2019-20 में राज्यमंत्री ने विशेषाधिकार ग्रांट को 95 लोगों में बांटा। इसमें अधिकतर ऐसे लोग हैं, जो हर तरह से सक्षम हैं। माजरा ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि राज्यमंत्री ने जरूरतमंद संस्थाओं, समाज सेवी संस्थाओं को मदद देने की बजाए सक्षम ज्ञानदीप सोशल वेल्फेयर सोसाइटी कमालपुर को फर्नीचर व कंप्यूटर शिक्षा के नाम पर 31 लाख व द गुरुकुल सोशल एवं वेलफेयर सोसाइटी कलायत को कमरों एवं महिला शिक्षा के फनीर्चर के लिए 21 लाख रुपये दिए।
इन दोनों संस्थाओं में ज्ञानदीप सोसाइटी में सीता राम कोषाध्यक्ष जैसे लोग हैं, जो राज्यमंत्री के चहेते हैं। वहीं, गुरुकुल में ममता पत्नी पुनीत जैन जैसे सक्षम व्यक्तित्व हैं। ऐसे में इस सहायता ग्रांट वितरण में भ्रष्टाचार की बू आ रही है।
उन्होंने कहा कि कुतुबपुर गांव की श्योनन को गरीब मानते हुए घर की मरम्मत हेतु दो लाख रुपये, गांव फ्रांसवाला में करतार सिंह को गरीब मानते हुए घर की मरम्मत के लिए सुमित्रा पत्नी जसमेर सिंह को दो लाख रुपये, गांव फ्रांसवाला के ही बलदेव सिंह पुत्र नगर राम को गरीब मानते हुए दो लाख रुपये व बुढ़ाखेड़ा के कृष्ण कुमार को गरीब मानते हुए घर की मरम्मत के लिए एक लाख रुपये, कैथल के राजेंद्रा सेठ कालोनी निवासी विवेक गुप्ता को गरीब मानते हुए घर की मरम्मत के लिए दो लाख रुपये, चिरंजीव कालोनी निवासी गौरव सिंगला को गरीब मानते हुए घर की मरम्मत के लिए एक लाख रुपये की राशि दे दी। इसी प्रकार से गुहणा निवासी कुलदीप सिंह को गरीब मानते हुए घर की मरम्मत के लिए दो लाख रुपये दे दिए। जांच करवाई जाए तो पता चल जाएगा कि उक्त सभी व्यक्ति व महिलाएं कितने गरीब व जरूरतमंद हैं।
दुख की बात तो यह है कि राज्यमंत्री को अपने हलके में 50 से अधिक गांवों में ऐसा कोई गरीब नहीं दिखा, जिसकी वे मदद कर सकतीं। माजरा ने खुलासा करते हुए कहा कि यह गड़बड़ी केवल 2019-20 की नहीं हैं।
पिछले तीन साल से लगातार चल रही है। वे अगली कड़ी में वर्ष 2021-22 व 2022-23 में इसी मद से दी गई ग्रांट के घोटाले का खुलासा करेंगे। इस पूरे मामले की जांच की जाए तो बड़ा खुलासा हो सकता है।
स्वैच्छिक कोष से अनुदान लेने के लिए गम्भीर बीमारियों से पीड़ित, मकान की मरम्मत जैसी कई प्रकार की मदद के लिए आमजन व समाज में शिक्षा, सामाजिक कार्य करने वाली संस्थाओं द्वारा मांग रखी जाती हैं। मेरे पास जो आवेदन आए थे, उन पर ही विचार करके ही यह अनुदान दिए गए हैं और भविष्य में कोई व्यक्ति मेरे पास आवेदन करेगा, तो उसपर विचार करके मदद की जाएगी। मेरा प्रयास रहता है कि अधिक से अधिक जरूरतमंदों की मदद की जा सके। सामाजिक, शैक्षणिक संस्थाओं को अनुदान देने के अतिरिक्त मैंने कभी किसी जरूरतमंद की मदद को राजनीतिक फायदे का माध्यम नहीं बनाया। जनसेवा के अवसर को गंवा चुके कुछ लोग पूरी प्रक्रिया से वाकिफ होने के बाद भी ऐसे सवाल उठाकर अपनी कुंठा को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
-कमलेश ढांडा, महिला एवं बाल विकास मंत्री