दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 7 सितंबर
हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी और जिलों में हो रही बैठकों में हुए हंगामे पर पार्टी नेतृत्व ने कड़ा नोटिस लिया है। एसआरके ग्रुप (कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी) कार्यकर्ताओं के बीच हुए हंगामे और मारपीट की रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक पहुंचा चुका है। ग्रुप ने हुड्डा खेमे के नेताओं की शिकायत पार्टी नेतृत्व से की है। वहीं दूसरी ओर, हुड्डा खेमा भी पूरी मजबूती के साथ डटा है और हंगामे के पीछे सबसे बड़ी वजह तीनों ही नेताओं और उनके समर्थकों को बताया जा रहा है।
पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया फिलहाल गुजरात में हैं और वे जल्द ही दिल्ली लौटेंगे। सूत्रों का कहना है कि उनका 10 व 11 सितंबर को चंडीगढ़ आने का कार्यक्रम लगभग तय हो चुका है। पहले दिन वे चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस मुख्यालय में जिला प्रभारियों के साथ बैठक करेंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में जिलों में समन्वयकों के सामने हुए हंगामे, नारेबाजी और मारपीट पर पूरी रिपोर्ट ली जाएगी। 11 सितंबर को वे सभी एआईसीसी समन्वयकों के अलावा उनके साथ लगाए गए पीसीसी काेऑडिनेटर के साथ जिलों की बैठक की रिपोर्ट लेंगे।
बाबरिया ने जिलों में कार्डिनेटर इसलिए नियुक्त किए थे ताकि जिलाध्यक्ष के संभावित चेहरों का पता किया जा सके। इसके लिए स्थानीय स्तर पर नेताओं व वर्करों से संवाद किया गया है। पहले चरण में सभी 22 जिलों में अध्यक्ष का फैसला होना है। इसके लिए पार्टी की पहली कोशिश रहेगी कि सर्वसहमति से जिलाध्यक्षों का चयन किया जाए। फीडबैक रिपोर्ट में जिलाध्यक्ष के लिए संभावित नामों का पैनल तैयार करके कार्डिनेटर प्रभारी को देंगे। इस पैनल पर प्रभारी प्रदेश कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करके विचार-विमर्श करेंगे।
वे पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मंत्री व तोशाम विधायक किरण चौधरी, पूर्व वित्त मंत्री व कांग्रेस के ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय चेयरमैन कैप्टन अजय सिंह यादव सहित आदि के साथ बैठक करेंगे। इन नेताओं के साथ बैठक के जरिये वे जिलाध्यक्ष पदों को लेकर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। अगर सहमति नहीं बनती तो सभी पैनल पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पास भेजे जाएंगे।
इसके बाद जिलाध्यक्ष का फैसला पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल के स्तर पर होगा। कांग्रेस के नेताओं में जिस तरह से इन दिनों खींचतान बढ़ी हुई है, उसे देखते हुए सर्वसम्मति से संगठन का गठन हो पाना आसान काम नहीं लगता। प्रबल संभावना इसी बात की है कि जिलाध्यक्षों को लेकर चल रही यह खींचतान आखिर में कांग्रेस नेतृत्व के पास ही पहुंचेगी।
इसलिए मचा अधिक घमासान
दरअसल, जिलों में नेताओं व वर्करों की फीडबैक बैठकों में इसलिए अधिक घमासान हो रहा है क्योंकि स्थानीय कार्यकर्ताओं को लगता है कि कार्डिनेटर ही जिलाध्यक्ष का फैसला करने की फाइनल अथॉरिटी हैं। उन्हें लगता हैं कि कार्डिनेटर जो रिपोर्ट प्रभारी को देंगे, उसी पर मुहर लग जाएगी। सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। कार्डिनेटरों को केवल जिलाध्यक्ष के लिए संभावित चेहरों का पैनल बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। इस पर अंतिम फैसला प्रदेश कांग्रेस के नेता मिल-जुलकर करेंगे। केवल सहमति नहीं बनने वाले जिलों का मामला ही पार्टी हाईकमान के पास रैफर किया जाएगा।
जिलों में भेजे गए काेऑर्डिनेटर की रिपोर्ट 10-11 सितंबर तक आने की उम्मीद है। हमारी कोशिश रहेगी कि सर्वसम्मति से जिलाध्यक्ष का चयन किया जाए। अगर इसमें किसी तरह की परेशानी या अड़चन आती है तो मैं पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को रिपोर्ट भेज दूंगा। इसके बाद हाईकमान के स्तर पर ही फैसला होगा। अनुशासनहीनता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जा सकती। सभी को संयम बरतना चाहिए और अपनी सीमाओं को लांघना नहीं चाहिए।
-दीपक बाबरिया, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी