वीगन डाइट एक शाकाहारी स्पेशल डाइट है जिसकी शुरुआत धार्मिक, नैतिक और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने जैसी वजहों से की गई थी। इसका मूल उद्देश्य पशु-आधारित आहार का त्याग करना है। यानी ऐसे भोजन से दूरी जिसके लिए जानवरों की हत्या करनी पड़ती है या उन्हें कष्ट होता है। वर्तमान में दुनिया भर में वीगन डाइट का ट्रेंड बढ़ा है। आमतौर पर वीगन डाइट को शाकाहारी भोजन माना जाता है जबकि वीगन डाइट उससे अलग है। वेजिटेरियन डाइट में मांस, मछली व अंडे जैसे मांसाहारी खाद्य पदार्थ खाना वर्जित होता है, लेकिन दूध और दुग्ध उत्पादों का सेवन किया जा सकता है। जबकि वीगन डाइट पूरी तरह से पौधे-आधारित आहार है। इसमें पशु या किसी भी तरह के पशु उत्पाद शामिल नहीं किए जाते। सिर्फ पेड़-पौधों से प्राप्त चीजों का ही सेवन किया जाता है।
वीगन डाइट में दूध, दही, क्रीम, घी, देसी घी, बटर, म्योनीज, चीज़ व यहां तक कि शहद खाना भी वर्जित है। विकल्प के तौर पर सोया मिल्क, कोकोनेट मिल्क या आलमंड मिल्क का इस्तेमाल किया जाता है। घी के बजाय वनस्पति तेल इस्तेमाल किया जाता है जैसे- सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सनफ्लॉवर, ऑलिव ऑयल।
क्या हैं फायदे
अनुसंधानों के आधार पर कुछ वैज्ञानिक वीगन डाइट को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानते हैं।
हार्ट के लिए हितकारी
वीगन डाइट में इस्तेमाल होने वाला पौधे-आधारित फैट या ऑयल शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करने में सहायक हैं। जबकि पशु-आधारित घी का सैचुरेटिड फैट कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। दरअसल, वीगन डाइट से ब्लड प्रेशर, हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है।
कैंसर से बचाव
वीगन डाइट में काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं जो शरीर की विभिन्न कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले विषाक्त पदार्थों यानी फ्री-रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालकर स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इस डाइट का सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव में मदद मिलती है।
डायबिटीज पर नियंत्रण
वीगन डाइट का सेवन करने वाले व्यक्ति का ब्लड शूगर स्तर नियंत्रित रहता है। इंसुलिन निर्माण सामान्य तौर पर होता है जिससे टाइप -2 डाइबिटीज होने का खतरा कम होता है।
आर्थराइटिस में राहत
एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर वीगन डाइट से आर्थराइटिस में होने वाले जोड़ों के दर्द, सूजन और सुबह के समय अकड़न कम करने में मदद मिलती है।
वजन पर कंट्रोल
वजन कम करने वालों के लिए वीगन डाइट सर्वाधिक उपयुक्त है। इसमें कैलोरी और फैट कम मात्रा में, जबकि फाइबर भरपूर मात्रा में मिलता है।
पाचन तंत्र की मजबूती
फाइबर से भरपूर वीगन डाइट पाचन को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती है। जिससे अपच, गैस बनना जैसी समस्याएं कम होती हैं।
संक्रमण से बचाव
वीगन खाद्य पदार्थों में मौजूद विटामिन बी, सी जैसे जल में घुलनशील विटामिन से वायरस और बैक्टीरिया से होने वाली संक्रामक बीमारियों का खतरा कम रहता है।
नुकसान भी न करें नजरअंदाज
जहां वीगन डाइट के कई फायदे हैं, वहीं नुकसान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर व्यक्ति वीगन डाइट लंबे समय तक लेता है, तो उसके शरीर में कुछ पौष्टिक तत्वों की कमी भी हो सकती है जैसे विटामिन डी, विटामिन बी 12, आयरन, कैल्शियम, जिंक। इसलिए जरूरी है कि वीगन डाइट शुरू करने से पहले आहार विशेषज्ञ को जरूर परामर्श करें। वहीं पौधे-आधारित वीगन डाइट में अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन काफी कम मात्रा में होता है। ऐसे में प्रोटीन की पूर्ति के लिए सीड्स, नट्स ज्यादा मात्रा में लें। हालांकि हरी सब्जियों और सीड्स में कैल्शियम काफी मात्रा में होता है। लेकिन इनमें मौजूद ऑक्सालेट तत्व कैल्शियम को सोख लेता है जिससे कैल्शियम की आपूर्ति ठीक तरह नहीं हो पाती। वीगन डाइट वाले कैल्शियम के सप्लीमेंट, फोर्टिफाइड ऑयल या फोर्टिफाइड सोया मिल्क का सेवन करें। यह भी कि वीगन व्यक्ति को ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी हो जाती है, जिसके लिए सप्लीमेंट लेने की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि ओमेगा 3 फैटी एसिड अलसी, चिया सीड्स, अखरोट में काफी मात्रा में मिलता है। इस डाइट में कई बार शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। वहीं विटामिन बी12 की आपूर्ति के लिए सप्लीमेंट लेने पड़ते हैं।
इन बातों का खास ख्याल
वीगन डाइट के फायदे-नुकसान देखते हुए लंबे समय तक केवल वीगन डाइट पर निर्भर रहना मुश्किल होता है। इसलिए जब तक बहुत ज्यादा जरूरत न हो, केवल वीगन डाइट नहीं लेनी चाहिए। यदि लें भी तो आयरन के लिए टोफू, नट्स, बथुआ, पालक, पौदीना, करी पत्ता या फोर्टिफाइड सीरिल्स जैसी चीजें रोजाना आहार में शामिल करनी जरूरी हैं। वहीं आहार में दालों की मात्रा बढ़ाई जा सकती है या फिर अनाज और दालों को कम्बीनेशन में खाना चाहिए जैसे- दाल-चावल, खिचड़ी, दलिया-खिचड़ी, दाल-रोटी। बेसन, चना, सोयाबीन आदि मिलाकर बना मल्टीग्रेन आटा ले सकते हैं। शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी न हो और बहुत ज्यादा सप्लीमेंट की जरूरत न पड़े तो आहार में फ्लेक्सिबल एप्रोच बेहतर है। यानी कम से कम दूध और दूध से बने पदार्थ तो शामिल करने ही चाहिए।