अमोघा अग्रवाल
जब मानसिक स्वास्थ्य की बात हो तो हमारे दिमाग में कुछ शब्द आते हैं जैसे- अवसाद, मनोचिकित्सक, परामर्श व चिंता आदि, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य इससे कहीं अधिक है। हालांकि कोविड काल के बाद भारत में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में गंभीरता से बात होने लगी है, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक से लड़ने के साथ-साथ, हमें मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता लानी है। जागरूकता का उपयोग करने के साथ अपना ख्याल रखने की दिशा में भी काम करना होगा। हमें तनाव है, लेकिन हम नहीं जानते कि इसके बारे में किसी परामर्शदाता के पास जाने के अलावा क्या किया जाए, जो हर किसी के लिए सुविधाजनक विकल्प नहीं है। तो, सवाल है हम घर पर अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल कैसे शुरू करें?
चिकित्सीय जीवन शैली परिवर्तन (टीएलसी) अवधारणा का उपयोग हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में मददगार बन सकता है। टीएलसी के तहत पौष्टिक आहार, शारीरिक गतिविधि, ध्यान, रूटीन आदि आते हैं। यहां जर्नलिंग एक स्व-सहायता उपकरण है जो सक्रिय योगदान दे सकता है। जर्नलिंग केवल अभ्यास, लेखन और अनफ़िल्टर्ड विचारों-भावनाओं को व्यक्त कर स्वयं-जागरूक होने और खुद के साथ सार्थक संबंध बनाने का एक तरीका है। एक मानसिक, भावनात्मक और व्यक्तिगत अभ्यास है जो हमें अपने आंतरिक संघर्षों और भ्रमों को सुलझाने के साथ-साथ अपने परिवेश के प्रति सचेत रहने के लिए प्रोत्साहित करता है। जर्नलिंग कई प्रकार की है।
अभिव्यंजक जर्नलिंग : यहां, हम अपने विचारों और भावनाओं को बिना किसी फिल्टर के, जैसे ही वे आते हैं, लिखते हैं। यह हमें उन विचारों और भावनाओं से बाहर निकलने में मदद करता है जिन्हें साझा करने या स्वीकार करने में हम सहज नहीं थे। यह आपके सोचने के तरीके, ट्रिगर्स और भावनाओं के बारे में जागरूक होने में मदद करता है। सोच तर्कसंगत बनाने का भी मौका मिलता है।
कृतज्ञता : यह हमें उन चीज़ों को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है जिनके लिए हम आभारी हैं। यह हमें वर्तमान जीवन, रिश्तों, स्थितियों, परिवेश और यहां तक कि स्वयं में भी अच्छाई खोजने में मदद करेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि हम जिस चीज के लिए आभारी हैं, उसके बारे में प्रतिदिन पांच मिनट लिखने मात्र से हमारी दीर्घकालिक खुशी 10 फीसदी बढ़ सकती है।
एक शब्द की पत्रिका : हम अपने दिन का वर्णन केवल एक शब्द से करके और उसे लिखकर शुरू कर सकते हैं। समय के साथ, हम अपने लिए एक पंक्ति लिखने के लिए आगे बढ़ सकते हैं और कुछ डूडलिंग भी कर सकते हैं। खुद को अभिव्यक्त करना सीखने की दिशा में यह अच्छा कदम है।
न भेजा गया पत्र : ऐसे क्षण आते हैं जब हम किसी से कुछ कहना चाहते हैं लेकिन कह नहीं पाते। न भेजे गए पत्र जर्नलिंग का अर्थ स्वयं को वह सब कुछ लिखने की अनुमति देना है जो हम किसी से कहना चाहते हैं। इसमें हम प्रतिक्रिया की चिंता किए बिना लिख सकते हैं जो कहना चाहते हैं।
फ़ोटोग्राफ़ी : यदि हम कुछ भी लिखना नहीं चाहते हैं, तो हम बस एक दिन में उन चीज़ों की फ़ोटो क्लिक कर सकते हैं जो हमें आभारी, खुश या प्रेरित महसूस कराती हैं। इन तस्वीरों को दिन की किसी महत्वपूर्ण चीज़ के रूप में अपनी पत्रिका में जोड़ते हैं।
आर्ट जर्नलिंग : हम अपनी पत्रिकाओं में पेंटिंग, स्केचिंग, कलरिंग, डूडलिंग, क्राफ्टिंग आदि के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करना शुरू कर सकते हैं और यह आत्म-जागरूकता के माध्यम से जागरूक तरीके से मार्गदर्शन करने में मदद करेगा।
माइंडफुल और वेलनेस जर्नलिंग : यहां, हम यहां और अभी पर ध्यान केंद्रित करते हैं और लचीलापन प्रशिक्षण का उपयोग करके अपने दिन की योजना बनाते हैं। यह हमें आशावाद और हमारे दिन का समय-निर्धारण करने में मदद करता है। जर्नलिंग मदद करता है- हमारे दिमाग को शांत करने, आत्मनिरीक्षण करने और खुद को और अधिक जानने, वर्तमान के प्रति जागरूक होने, डिजिटल अवकाश, कृतज्ञता, आशावाद जगाने में। यह लचीलापन प्रशिक्षण बेहतर निर्णय लेने में योगदान देता है और स्थितियों को तर्कसंगत बनाता है। स्वस्थ आदतों के साथ उपचारात्मक विचारों को भी विकसित करता हे। जर्नलिंग हमारे मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए एक अच्छी तरह से स्थापित और सफल तरीका है वहीं सबसे किफायती, आसान और सुविधाजनक अभ्यास है। जर्नलिंग में अवसाद को रोकने, उत्साह को बढ़ावा देने की क्षमता है। ऐसे में हम अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना शुरू करें और इसके प्रति सचेत कदम उठाएं। तनाव अधिकांश मानसिक और शारीरिक बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए जर्नलिंग के माध्यम से तनाव का प्रबंधन करना सीखना एक महत्वपूर्ण निवारक उपाय है।