दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू
कैथल, 25 सितंबर
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने चौ. देवीलाल की 110वीं जयंती पर सोमवार को कैथल में सफल राजनीतिक प्रदर्शन किया। ‘सम्मान दिवस रैली’ से पहले लगभग पूरे हरियाणा में परिवर्तन यात्रा निकाल चुके इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला की मेहनत का इनाम भी उनके पिता, इनेलो सुप्रीमो और पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने उन्हें दे दिया। रैली में बतौर मुख्य वक्ता ओपी चौटाला ने अभय को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने के संकेत दिए। वहीं, इनेलो और जननायक जनता पार्टी के भविष्य में एक होने की अटकलों पर लगभग विराम लगा दिया।
पांच साल पहले इसी दिन गोहाना में हुई सम्मान दिवस रैली में इनेलो और चौटाला परिवार में फूट की नींव पड़ गई थी। उस रैली में युवाओं ने दुष्यंत चौटाला को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया था। उस समय ओपी चौटाला ने इस व्यवहार पर कड़ी नाराजगी जताई थी। इसका नतीजा यह निकला कि उनके बड़े पुत्र डॉ. अजय सिंह चौटाला और अजय के दोनों बेटों– दुष्यंत तथा दिग्विजय चौटाला को इनेलो से बाहर कर दिया गया। इसके बाद अजय ने जींद में रैली करके जननायक जनता पार्टी का गठन किया था।
कैथल रैली में अहम बात यह रही कि इससे पूर्व की अधिकांश रैलियों में सीएम के रूप में ओपी चौटाला को ही प्रोजेक्ट किया जाता रहा है। इस बार अधिकांश नेताओं ने अभय चौटाला को ‘भावी मुख्यमंत्री’ कह कर संबोधित किया। अनुशासन के मामले में काफी कड़क माने जाने वाले चौटाला आमतौर पर इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं करते, लेकिन जिस तरह से आज उनका भाषण रहा, उससे स्पष्ट झलक रहा था कि वे अपने छोटे बेटे अभय को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने का मन बना चुके हैं। भाषण के आखिर में उन्होंने स्पष्ट कहा– अब मैं पार्टी की कमान अभय को सौंप रहा हूं। मेरा आशीर्वाद हमेशा इसके (अभय) साथ रहेगा। अगर यह कोई गलती भी करेगा तो मैं कान मरोड़ दूंगा।
अब चूंकि चौटाला ने खुद ही स्पष्ट कर दिया है कि अभय ही आगे इनेलो को संभालेंगे, तो इससे साफ है कि भविष्य में दोनों पार्टियों के एक होने की गुंजाइश नहीं रही है।
छलका सुखबीर का दर्द
लंबे समय तक एनडीए का हिस्सा रहे शिरोमणि अकाली दल के नेता व पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल का दर्द छलका। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राष्ट्रीय पार्टियां मिलकर क्षेत्रीय दलों को खत्म कर देना चाहती हैं। क्षेत्रीय दलों को लोगों के दुख-दर्द की समझ जितनी होती है, उतनी राष्ट्रीय पार्टियों को नहीं होती। उन्होंने आह्वान किया कि देशभर के सभी क्षेत्रीय दलों को मिलकर लड़ना चाहिए। अगर सभी क्षेत्रीय दल एक मंच पर आकर लड़ेंगे तो देश में उनकी सरकार बनेगी।
बीरेंद्र सुना रहे अपनी आवाज! पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता चौ. बीरेंद्र सिंह डूमरखां इनेलो के मंच पर पहुंचे तो लोगों ने चौ. देवीलाल के साथ चौ. छोटूराम जिंदाबाद के नारे लगााए। बीरेंद्र सिंह ने देवीलाल की नीतियों की जमकर तारीफ की। भाजपा के खिलाफ तो वे खुलकर नहीं बोले, लेकिन इशारों में अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। बीरेंद्र सिंह ने तीन कृषि कानूनों का जिक्र करते साफ कर दिया कि वे शुरू से ही इनके विरोध में थे। बीरेंद्र सिंह इन दिनों भाजपा को लेकर उखड़े हुए हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब वे इनेलो की स्टेज पर पहुंचे।
‘इंडिया’ का…
‘इंडिया’ का नहीं हुआ जिक्र इनेलो के ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल होने की अटकलें भी कई दिनों से लगाई जा रही थीं। अभय चौटाला कैथल की सम्मान दिवस रैली के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण भी देकर आए थे।
लेकिन कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन के प्रमुख सहयोगियों ने इस आयोजन से दूरी बनाई। बेशक, कुछ नेता कैथल पहुंचे, लेकिन रैली में इंडिया गठबंधन को लेकर अधिक चर्चा नहीं हुई। अलबत्ता ओपी चौटाला ने तो कांग्रेस के खिलाफ जमकर बोला, जबकि भाजपा के खिलाफ सीधे तौर पर कुछ भी बोलने से बचे। जेबीटी भर्ती मामले में 10 साल की सजा काट चुके चौटाला के चेहरे पर इसका दर्द आज भी दिखा। उन्होंने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। वहीं, इंडिया गठबंधन की रिसर्च टीम के सदस्य केसी त्यागी ने कहा, हरियाणा में इनेलो के बिना कुछ नहीं है। इनेलो को साथ लेकर चलना होगा। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने कहा, यह समय देश को बचाने का है और इसके लिए सभी को मिलकर भाजपा के खिलाफ लड़ना होगा। रालोद के पूर्व सांसद साहिल सिद्दीकी, तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन, राष्ट्रीय जनलोक पार्टी के शेर सिंह राणा और भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद भी रैली में पहुंचे। बिहार के सीएम नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, शरद पवार, जयंत चौधरी, हनुमान बेनीवाल, सीताराम युचेरी और पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जैसे नेता नहीं पहुंचे।