आलोक पुराणिक
अहमदाबाद में भारत-पाक मैच हुआ, भारत जीता। इसमें हार्दिक पांड्या हाथ में बाल लेकर मंत्र फूंकते हुए दिखे। और कमाल यह हुआ कि मंत्र फूंकने के बाद जो बाल फेंकी गयी, उसमें एक विकेट मिला। तो मामला यह साफ हुआ कि हार्दिक के मंत्र में दम है। पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने बताया कि अमावस्या के दिन मंत्र वगैरह फूंके जाते हैं, तो रिजल्ट जबरदस्त आते हैं। हार्दिक पांड्या को यूं आलराउंडर माना जाता है, बॉलिंग के एक्सपर्ट, बैटिंग के एक्सपर्ट, अब उनके आलराउंडत्व में मंत्रों के ज्ञान को शामिल कर लिया जाना चाहिए। बल्कि हार्दिक पांड्या की शाहकार सफलता के बाद यह हो जायेगा कि आलराउंडर उसे ही माना जाना चाहिए जो बॉलिंग, फील्डिंग, बैटिंग के साथ साथ मंत्र वगैरह भी फूंक सके।
हार्दिक पांड्या मंत्र फूंककर विकेट ले सकते हैं या नहीं, यह मुद्दा अलग है। हार्दिक पांड्या मंत्र की ट्रेनिंग देकर लाखों कमा सकते हैं, यह खास मुद्दा है। पाकिस्तान वाले एक्सपर्ट लोगों का पक्का भरोसा है कि पांड्या अमावस्या की रात को मंत्र फूंककर विकेट गिरा सकते हैं। पाकिस्तान वाले अपने नये बॉलरों को हार्दिक पांड्या से ट्रेनिंग दिलवा सकते हैं। पांड्या मंत्र सिखा सकते हैं। मंत्र के काम में एक मसला यह है कि अगर मंत्र कारगर न हो, तो कोई शिकायत करने नहीं आता। वह नया मंत्र आगे लेने चला जाता है।
पांड्या इंस्टीट्यूट और क्रिकेट स्टडीज खोला जा सकता है, इसमें तंत्र-मंत्र सिखाये जा सकते हैं। इस स्कूल के प्रिंसिपल खुद पांड्या हों और बाकी गेंदबाजों को बतौर फैकल्टी रखा जा सकता है।
पांड्या सिर्फ बॉलिंग में ही क्यों प्रयोग करें मंत्रों को। बैटिंग को भी मंत्रों के दायरे में लाया जाना चाहिए। और सिर्फ बैटिंग ही क्यों, फील्डिंग भी मंत्रों के दायरे में आये। मुझे भविष्य का बहुत सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा है। तमाम टीमों में बॉलिंग मंत्र कोच, बैटिंग मंत्र कोच, फील्डिंग मंत्र कोच सब रखे जायें। हार्दिक ने अहमदाबाद में नये क्रिकेट कारोबारों की संभावनाएं खोली हैं। क्रिकेट ऐसा बड़ा कारोबार है, जहां से कई कारोबारों की राह खुलती हैं।
मंत्रों की जरूरत सब जगह है। मध्य पूर्व में हमास और इस्राइल की मारधाड़ चल रही है, वहां शांति मंत्र की जरूरत है। शांति मंत्र वहां न चले, इसमें कई देशों की रुचि है। शांति में कारोबार होता है, पर अशांति में बहुत चीजों का बहुत बड़ा कारोबार होता है। सब शांति से रहें तो बम-बंदूक-हथियार कौन खरीदेगा। शांति लगातार चले तो तमाम हथियार कंपनियों के धंधे में अशांति आ जायेगी। मध्य पूर्व में उन भारतीय बाबाओं की डिमांड बढ़ सकती है जो युद्ध सुरक्षा कवच टाइप कुछ बनाकर बेच सकते हैं।