नयी दिल्ली, 23 अक्तूबर (एजेंसी)
भारत के पूर्व कप्तान और बाएं हाथ के देश के महानतम स्पिनर बिशन सिंह बेदी का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी अंजू, बेटा अंगद और बहू नेहा हैं। उनके एक करीबी दोस्त ने कहा, ‘उन्होंने आज सुबह अपने घर पर अंतिम सांस ली। हाल ही में उनके घुटने का ऑपरेशन हुआ था। संक्रमण फैल गया और वह इससे उबर नहीं सके।’
बेदी का जन्म 25 सितंबर, 1946 को अमृतसर में हुआ था। वह अपने पूरे जीवन में सत्ता-विरोधी रहे और उनके विचार अकसर सत्ता में बैठे लोगों पर सवाल उठाते रहे। वह 1974 से 1982 तक सबसे लंबे समय तक दिल्ली रणजी टीम के कप्तान रहे और उनके नेतृत्व में यह टीम राष्ट्रीय क्रिकेट में बड़ी ताकत बन बन कर उभरी। उनके निधन की खबर सार्वजनिक होते ही सोशल मीडिया पर शोक संवेदनाएं उमड़ पड़ीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिशन सिंह बेदी के निधन पर शोक जताया और कहा कि वह क्रिकेटरों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर लिखा कि बीसीसीआई पूर्व टेस्ट कप्तान और महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी के निधन पर शोक व्यक्त करती है। इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।’ क्रिकेट जगत ने इस पूर्व दिग्गज को सोशल मीडिया के जरिये श्रद्धांजलि दी। इनमें बीसीसीआई सचिव जय शाह, पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर, पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन, रविचंद्रन अश्विन, मोहम्मद सिराज और भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज शामिल हैं।
67 टेस्ट खेले, 266 विकेट चटकाये
बेदी ने भारत के लिए 67 टेस्ट खेले और 266 विकेट लिए। उन्होंने पारी में 14 बार 5 विकेट और मैच में एक बार 10 विकेट चटकाने का कारनामा किया। वह भारतीय क्रिकेट के स्पिनरों की उस स्वर्णिम चौकड़ी का हिस्सा थे जिसमें उनके अलावा इरापल्ली प्रसन्ना, भागवत चंद्रशेखर और श्रीनिवास वेंकटराघवन शामिल थे। वह 1966 और 1978 के बीच एक दशक से अधिक समय तक भारत की गेंदबाजी इकाई का प्रमुख हिस्सा रहे। बेदी 1990 में न्यूजीलैंड और इंगलैंड दौरे के दौरान कुछ समय के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर थे। वह राष्ट्रीय चयनकर्ता होने के साथ मनिंदर सिंह और मुरली कार्तिक जैसे कई प्रतिभाशाली स्पिनरों के गुरु भी थे। बेदी सबसे सफल भारतीय कप्तानों में से एक थे और उन्होंने मंसूर अली खान पटौदी के संन्यास के बाद 1975 से 1979 के बीच भारतीय टेस्ट क्रिकेट का लगभग 4 वर्षों तक नेतृत्व किया।
फ्लाइट बॉल…अचानक तेज गेंद पर चकमा खा जाते थे बल्लेबाज
अपनी आर्म बॉल से लेकर फ्लाइट लेती गेंदों से दुनिया भर के बल्लेबाजों को चकमा देने वाले बिशन सिंह बेदी भारतीय स्पिन चौकड़ी की वह अबूझ पहेली थे, जो अपने फैसलों और बेबाक टिप्पणियों के कारण विवादों में भी रहे। बाएं हाथ के स्पिनर बेदी स्पिन की हर कला जानते थे। चाहे वह तेजी में बदलाव हो या वैरीएशन। उनकी फ्लाइट, आर्म बाल और अचानक से की गई तेज गेंद पर बल्लेबाज चकमा खा बैठते थे। विश्व क्रिकेट में जब भी आर्म बॉल का जिक्र आएगा तब जेहन में पहला नाम बिशन सिंह बेदी का होगा, जिन्होंने बाएं हाथ के स्पिनरों की गुगली कही जाने वाली इस गेंद को नया जीवन दिया था। बेदी ने अपनी आर्मर से दुनिया के कई दिग्गज बल्लेबाजों को चकमे में डाला।
गलत अंपायरिंग का विरोध कर पाक के खिलाफ गंवाया था मैच
बेदी दुनिया के ऐसे पहले कप्तान थे जिन्होंने टीम के जीत के करीब होने के बावजूद गलत अंपायरिंग का विरोध करके मैच गंवा दिया था। यह नवंबर 1978 की घटना है जब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ साहिवाल में खेले जा रहे वनडे मैच में 14 गेंद पर 23 रन की जरूरत थी और उसके 8 विकेट बचे हुए थे। पाकिस्तान के तेज गेंदबाज सरफराज नवाज ने तब लगातार चार बाउंसर किये और अंपायर ने उनमें से एक को भी वाइड करार नहीं दिया। इसके विरोध में बेदी ने अपने बल्लेबाजों को वापस बुला लिया था। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) भी उनके निशाने पर रहे। उन्होंने फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर अरुण जेटली स्टेडियम करने का भी पुरजोर विरोध किया था।