आलोक पुराणिक
दिवाली पर कई टन शुभकामनाएं इधर से उधर और उधर से जाने किधर-किधर जा चुकी हैं।
मतलब अगर शुभकामनाओं से बिजली बनना संभव होता, हर बंदा अपने घर के लिए एक साल के लिये जरूरी बिजली बनाकर दूसरों को भी बिजली बेचने की पोजीशन में होता। सबसे आसानी से क्या दिया जा सकता है-शुभकामनाएं।
जो पॉवरफुल लोग हैं, वो सबको शुभकामनाएं दे देते हैं, पर अपने खास लोगों को पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, अकादमियों की अध्यक्षता वगैरह-वगैरह देते हैं। शाणे लोग जानते हैं कि शुभकामनाओं में क्या रखा है पेट्रोल पंप हासिल करो, फलां अकादमी की अध्यक्षता हासिल करो। शुभकामनाओं का असर हो रहा होता, तो गाजापट्टी में शांति हो जाती। हर बड़ा नेता तो खुले में यही शुभकामना दे रहा है कि शांति हो, चैन हो।
शुभकामनाएं खुले में दी जाती हैं, पर असली एक्शन चुपके से कर दिये जाते हैं।
कतर हमास के नेताओं को अपने यहां मजे में रखता है। हमास के नेता इस्राइल पर हमला करते हैं। इस्राइल का दोस्त अमेरिका है, अमेरिका की इच्छा भी शांति की है, पर अमेरिका के युद्धपोत गाजापट्टी के करीब टहल रहे हैं। इच्छाएं शांति की हैं, एक्शन युद्ध वाले हैं। रिजल्ट कामनाओं के नहीं हैं, एक्शन के आते हैं। दुनिया की बड़ी ताकतों को लड़ाकू जहाज बेचने हैं, टैंक बेचने हैं। अगर सचमुच में दुनिया में शांति हो जाये, तो बहुत हथियार कंपनियों का अशुभ हो जायेगा, सेल कम हो जायेगी।
मैंने दिवाली पर यह लिखकर टांग दिया कि यहां शुभकामनाएं नकदी में स्वीकार की जाती हैं। एक शुभकामना न आयी। एक रुपया नकद भी देना पड़ जाये तो बंदा कई बार सोचता है। शुभकामनाएं तो जितनी चाहें, उतनी दिलवा दो, क्या फर्क पड़ता है। कामनाएं पाकिस्तान की भी शुभ ही दिखाई देती हैं सब तरफ। पर एक्शन ये हैं पाकिस्तान के कि पाकिस्तान का पुराना दोस्त टाइप देश अफगानिस्तान तक पाकिस्तान के खिलाफ हो गया है। सारे नेताओं ने दिवाली पर जनता को शुभकामनाएं दीं। जनता की हालत न सुधरती। दिल्ली का पर्यावरण ज़हरीला होता जाता है, सारी पार्टियों के नेताओं की शुभकामनाओं के बावजूद। नेताओं की शुभकामनाओं से अगर पर्यावरण बेहतर होना होता, तो दिल्ली की हवा एकदम साफ हो जाती। दिल्ली का संदेश साफ है, नेताओं की शुभकामनाओं के भरोसे न रहें, दिल्ली की ज़हरीली हवा से बचने के लिए इंतजाम खुद करें।
दिल्ली के पॉल्यूशन के चकाचक रिजल्ट उन कंपनियों को मिल रहे हैं, जो एयर प्योरीफायर बना रही हैं। इन कंपनियों को किसी की भी शुभकामनाओं की जरूरत नहीं है। हवा में ज़हर हो, नेताओं के दावे खोखले हों, तो एयर प्योरीफायर कंपनियों का शुभ ही शुभ होता है, कोई इन्हें शुभकामना दे या नहीं।
शुभकामनाओं का ढेर फायदा मिलता है, एसएमएस वालों को, टेलीकाम कंपनियों को। अगर आप टेलीकाम कंपनी नहीं हैं, तो शुभकामनाएं आपके लिए फायदेमंद साबित न हो सकतीं। चेक कीजिये कितनी जगह घेरी है शुभकामना संदेशों ने, साफ कीजिये, कम से कम कुछ जगह तो बने, दूसरे संदेशों के लिए, वैसे उनमें से भी कई संदेश शुभकामना संदेश हो सकते हैं।