गुरुग्राम, 25 नवंबर (हप्र)
भारतीय शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण और विकास के लिए प्रतिबद्ध संस्था रसिक परफॉर्मिंग आर्ट्स ने अपैरल हाउस में अपना वार्षिक उत्सव का आयोजन किया। ‘प्रयास : नृत्य की मनमोहक शाम’ के 26वें संस्करण को संस्था ने उत्कृष्टता के साथ पेश किया। इस अवसर पर युवा प्रतिभाओं को एक मंच मिला, वहीं प्रसिद्ध कथक नर्तक पंडित जयंत कस्तूर, रविद्र मिश्रा, चित्रा शर्मा और सीसीआरटी के उपनिदेशक (एसएंडएफ) दिबाकर दास ने सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर मौजूद लोगों की भीड़ ने भारतीय शास्त्रीय कलाओं की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और इसे आगे बढ़ाने में रसिक परफॉर्मिग आर्ट्स के समर्पण पर एक बार फिर अपनी मुहर लगा दी। इस संगीतमय शाम का संगीत शिव शंकर रे और प्रतीप बनर्जी ने दिया था।
इस अवसर पर गुरु जयश्री आचार्य ने कहा कि कथक मेरे लिए नृत्य, लय, माधुर्य और कविता के विविध क्षेत्रों में प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, जो लोगों, भावनाओं और लगातार विकसित हो रही दुनिया की जटिलताओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। इस संगीतमय शाम की शुरुआत रसिक परफॉर्मिंग आर्ट्स के 5 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 50 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों से हुई। रसिक परफॉर्मिंग आटर्स के संस्थापक गुरु जयश्री आचार्य के युगल प्रदर्शन ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। कथक के हाव-भाव, अभिव्यक्ति का संपूर्ण कौशल पूरी मधुरता से झलक रहे थे, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहे थे। प्रीतिशा महापात्रा की ओडिसी प्रस्तुति से यह संगीतमय शाम आनंददायक हो गई। क्यूरेटेड प्रदर्शनों में समृद्ध भारतीय शास्त्रीय कलाओं की विविधता दिखी। शाम की शुरुआत ‘हरि हर’ से हुई, जिसमें गहरी गोधूलि राग और एकताल के जटिल 12-बीट चक्र के संयुक्त प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।