दिनेश भारद्वाज
तीन राज्यों– मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद नॉर्थ इंडिया (उत्तर भारत) में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। इन चुनावी नतीजों के बाद हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और चंडीगढ़ में ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के हाथ मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। बेशक, राहुल गांधी शुरू से ही इसके समर्थन में रहे हैं, लेकिन नतीजों के बाद इन राज्यों के कांग्रेसियों के भी सुर बदले-बदले नज़र आ रहे हैं।
दिल्ली से जुड़े सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से इन राज्यों में कांग्रेस प्रधानों व नेताओं को पहले ही हिदायतें दी जा चुकी हैं। अब हर किसी की नज़रें इस माह के आखिरी सप्ताह में नयी दिल्ली में होने वाली ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक पर टिकी हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के चलते इंडिया गठबंधन ने सीट शेयरिंग पर बातचीत को टाला हुआ था। चुनावी झटकों के बाद सीट शेयरिंग पर अधिक विवाद के आसार नहीं हैं। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और चंडीगढ़ में कांग्रेस और आप मिलकर चुनावी रण में उतर सकती हैं। ‘आप’ की ओर से इकट्ठे चुनाव लड़ने को लेकर कभी विवादित या नकारात्मक बयान भी नहीं आए हैं, लेकिन इन राज्यों के कांग्रेसी इसी पक्ष में रहे हैं कि कांग्रेस को किसी से समर्थन की जरूरत नहीं है। अब बदले हुए राजनीतिक हालात में इन राज्यों के नेताओं के भी हौसले पस्त हैं। तेलंगाना को छोड़कर तीनों राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। ऐसे में अब कांग्रेस भी गठबंधन पार्टनरों के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर अधिक मोल-भाव करने के बजाय इस बात पर तवज्जो देगी कि सभी मिलकर चलें। वहीं दूसरे सहयोगी दलों की भी यही कोशिश देखने को मिल सकती है।
इस तरह हो सकता है सीटों का बंटवारा
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पंजाब में लोकसभा की 13 सीटों में से कांग्रेस को 5 से 6 सीटों का ऑफर दिया जा सकता है। पंजाब में आप प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में है। पंजाब के सीएम भगवंत मान के प्रति कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियां भी कुछ दिनों से बंद हैं। पंजाब विधानसभा के हालिया सत्र के दौरान भी विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के सुरे बदले-बदले नज़र आए। जिस तरह से पंजाब के कांग्रेसियों के तेवर और सुर बदले हैं, उनसे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उन्हें कहीं न कहीं ऊपर से इशारा हो सकता है। इसी तरह से गठबंधन के तहत केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ की सीट कांग्रेस को मिल सकती है। हरियाणा में आप का फिलहाल राजनीतिक वजूद उतना नहीं है। ऐसे में यहां लोकसभा की दस में से उसे एक या दो सीटें मिल सकती हैं। इसी पैटर्न पर दिल्ली में कांग्रेस को आप लोकसभा की 7 में से दो सीटें ऑफर कर सकती है।