नरवाना (निस)
साहित्य शिखा समिति नरवाना के तत्वाधान में एक काव्य संध्या का आयोजन कैथल से पधारे व्योवृद्ध साहित्यकार तरसेम चंद अग्रवाल की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें स्थानीय लेखकों के इलावा नजदीक क्षेत्र से आए कलमकारों ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को आनंदित किया। गोष्ठी का आरम्भ जींद से आए वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश पांचाल की शहीद भगत सिंह की माता की भावना की प्रस्तुति से इस तरह हुआ- ‘जब तेरी लाश मिलेगी मेरी गोदी में तुझे लिटाऊं, वतन की इस माटी से तेरे माथे तिलक लगाऊं’। वरिष्ठ हरियाणवी कवि रामफल गौड़ ने अपनी रचना पढ़ी- ‘मिलग्या राह म्ह यार पुराणा ताजा हो गया प्यार पुराणा’। राजकुमार नैन ने आध्यात्मिकता पर अपनी कविता सुनाई- ‘ओ दुनियां के बनाने वाले, तू क्यों न देता दिखाई’। रामफल खटकड़ ने रचना प्रस्तुत की- ‘भले ही शब्द न मिलें कवि को बस हृदय की पीर मिले’। चन्द्रनाथ झा ने अपनी ओजस्वी वाणी में कहा- निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें। संस्था के कोषाध्यक्ष आदित्य आर्य ने अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा- लाचारी बहती आँखों से, यों दरिद्रता ने रगड़ा है तन ढखने की खातिर घर में, आधा मीटर कपड़ा है।