बहन जी जुटी प्रभाव बढ़ाने में
लोकसभा चुनाव में एसआरके ग्रुप वाली ‘बहनजी’ अंबाला पार्लियामेंट के साथ-साथ सिरसा में भी प्रभाव बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही हैं। पंद्रह जनवरी को उन्होंने सिरसा में बड़े शक्ति प्रदर्शन की तैयारी की है। इससे पहले ही दीपू ने 24 दिसंबर को सिरसा में ‘किसान-मजदूर जन आक्रोश’ रैली की तैयारियों के बीच बहनजी की घेराबंदी का प्रबंध कर दिया है। सिरसा पार्लियामेंट की टिकटों में हुड्डा खेमे और एसआरके ग्रुप की बहनजी में जबरदस्त खींचतान होने के आसार हैं। 2019 के चुनाव में हुड्डा खेमे के ज्यादा प्रत्याशियों को टिकट मिली थी, लेकिन इस बार बहनजी इस संख्या को पलटने की तैयारी कर रही हैं। चर्चा है कि दीपू ने बहनजी के इस मैनेजमेंट को फेल करने के लिए ही सिरसा में शक्ति प्रदर्शन का इंतजाम किया है।
बादशाहत के लिए टक्कर
गुरुग्राम की बादशाहपुर सीट की ‘बादशाहत’ के लिए भाजपा में अभी से खींचतान शुरू हो गई है। एक ओर राव नरबीर सिंह ने अपना जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है, वहीं सीएम के पूर्व ओएसडी जवाहर यादव भी टिकट हासिल करने की जुगत में हैं। जवाहर ने चुनाव लड़ने के लिए ही ओएसडी का पद छोड़ा है। टिकट के लिए जवाहर को राव नरबीर के साथ-साथ 2019 के चुनाव में टिकट हासिल करने वाले मनीष यादव से भी दो-दो हाथ करने पड़ेंगे। 2019 के चुनावों में राव नरबीर का टिकट खास कारणों से कटा था। लेकिन भाजपा ने अब राव नरबीर को दोबारा से मनाकर 2024 की चुनावी तैयारी के संकेत दे दिए हैं। इसके चलते राव नरबीर सिंह लम्बी खामोशी के बाद अपने हलके में एक्टिव हो गए हैं। मनीष को भी लगता है कि एक लाख वोट हासिल करने के चलते 2024 में उन्हें फिर से मौका मिल सकता है। ऐसे में जवाहर यादव के लिए इन दोनों को पछाड़ कर टिकट हासिल करना नामुमकिन तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर रहेगा।
कमाल के छोरे ने छोड़ी जजपा
बड़े कद वाले ‘छोटे सीएम’ और जजपा को उचाना हलके में सियासी झटका लगा है। ओपी चौटाला द्वारा 35 साल पहले भरी जनसभा में ‘कमाल का छोरा’ घोषित कर दिए गए सुरजीत सिंह अलेवा ने कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला की अगुवाई में कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। जजपा वाले डॉक्टर साहब के खास समर्थकों में शामिल रहे सुरजीत सिंह अलेवा 2010 में पांच हजार मतों के मार्जन के साथ सर्वाधिक अंतर से जिला पार्षद बने थे। उचाना हलके के सबसे बड़े गांव अलेवा के असरदार सियासी लोगों में शामिल सुरजीत सिंह का जजपा छोड़ना ‘छोटे सीएम’ को ‘बड़ा नुकसान’ पहुंचा सकता है।
शादी और सियासत
बरवाला से जजपा विधायक जोगीराम सिहाग के बेटे की शादी में कई तरह के सियासी नजारे देखने को मिले। 2024 के लोकसभा चुनावों में हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे भाजपा वाले कैप्टन साहब ने शादी में तीन घंटे रुककर इलाके के तमाम लोगों के साथ नजदीकियां बनाने का प्रयास किया। 2019 में दादा के हाथों शिकस्त खाने वाले कैप्टन साहब पार्लियामेंट के साथ विधानसभा की भी तैयारियां कर रहे हैं। हिसार सीट से दूसरे दावेदार बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने भी समारोह में डेढ़ घंटा रुककर अपने संपर्कों को मजबूत करने की कोशिश की। ऐलनाबाद के समाजसेवी कप्तान मीनू बैनीवाल ने भी शादी में शामिल होकर नये कयासों को जन्म दिया। लगभग एक दर्जन विधायकों की मौजूदगी में कप्तान का स्वागत चर्चा में रहा। समारोह में लगभग पंद्रह हजार लोगों की भागीदारी से जोगीराम सिहाग के मजबूत सामाजिक रिश्तों पर मुहर लग गई।
सेठजी की प्लानिंग
दिल्ली वाले ‘सेठजी’ ने हरियाणा को लेकर बड़ी प्लानिंग की हुई है। नई दिल्ली के बाद पंजाब में प्रचंड बहुमत से सरकार चला रही सेठजी की पार्टी हरियाणा में काफी एक्टिव हो गई है। 2024 के चुनाव में हरियाणा में असरदार मौजूदगी दिखाने का दावा कर रही आम आदमी पार्टी ने सबसे बड़ा सियासी अभियान छेड़ दिया है। प्रदेश के चारों बड़े नेता सुशील गुप्ता, अशोक तंवर, अनुराग ढांडा और निर्मल सिंह चारों कोनों से बदलाव यात्रा का आगाज कर चुके हैं। 25 दिसंबर को सभी नब्बे हलकों को कवर करके यात्राओं का समापन पानीपत, जींद, कैथल और भिवानी में होगा। अब देखने की बात यह है कि सेठजी की यह नई कवायद आप के जनाधार को बढ़ाने में कितनी सार्थक साबित होगी।
काका का रोडमैप
बेरोजगार युवाओं को भाजपा के साथ 2024 के चुनावों में लामबंद करने के लिए काका ने ‘मनोहर’ प्रयास किया है। भर्तियों में चल रही कोर्ट की अड़चनों के चलते असरदार रास्ता निकालते हुए काका ने कौशल रोजगार निगम के जरिये 11 हजार अध्यापकों की नियुक्ति करने का फैसला किया है। इन नियुक्तियों के कारण युवाओं में भाजपा के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर होने की उम्मीद की जा रही है। अगले छह महीने में ग्रुप सी और डी की 35 हजार नौकरियों के जरिये काका भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता का सरताज बनाने का रोडमैप तैयार करेंगे।
पिता और दादा के रास्ते पर
इनेलो को 2024 के चुनावों में असरदार सियासी ताकत बनाने और सत्ता हासिल करने के दावे कर रहे बिल्लू भाई ने भी वक्त की नजाकत को देखते हुए अपने पिता और दादा के आजमाए रास्ते पर चलने का फैसला किया है। 2024 के चुनाव में बिल्लू भी ओमप्रकाश चौटाला और चौ. देवीलाल की तरह दो सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। बिल्लू ने जुलाना में पार्टी कार्यालय का उद्घाटन करके इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं कि वे वहां से चुनावी दंगल में ताल ठोक सकते हैं। अभी जुलाना में सुनैना चौटाला ही ज्यादा एक्टिव नज़र आएंगी लेकिन नामांकन के समय कागजों में बिल्लू का नाम हो तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए।
दोस्ती के मायने
इनेलो वाले बड़े चौधरी के बारे में कहा जाता कि वे दोस्ती और दुश्मनी आखिर तक निभाते हैं। अपने सांघी वाले ताऊ ‘राजनीतिक दुश्मनी’ नहीं पालते। अलबत्ता वे दोस्ती निभाने के लिए जाने जाते हैं। कांग्रेस गलियारों में उनकी दोस्ती के किस्से अकसर सुने जाते हैं। वैसे उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि वे कमिटमेंट के आदमी हैं। जुबान देने के बाद पीछे नहीं हटते। इन दिनों ताऊ की ‘तिकड़ी’ चर्चाओं में है, तिकड़ी में ताऊ के अलावा उनका एक रिश्तेदार और एक पुराने दोस्त का रिश्तेदार शामिल है, यानी जीटी रोड रोड वाले पंडित जी शामिल हैं। सार्वजनिक कार्यक्रमों में ही नहीं रुटीन में भी तीनों अकसर इकट्ठे देखे जाते हैं। ताऊ के शुभचिंतकों का कहना है कि फायदे की बजाय कहीं नुकसान न पहुंचा दे जोड़ी।
काका और बाबा
अपने दाढ़ी वाले बाबा दो महीने से भी अधिक समय तक नाराज़ रहे। स्वास्थ्य महकमे का कामकाज भी छोड़े रखा। बीच का रास्ता निकला तो दो दिनों में सारी पेंडिंग फाइलें निपटा दी। 14 दिसंबर को विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक के बाद विस सचिवालय से काका और बाबा एक साथ बाहर निकले। पार्किंग में दोनों के बीच पांच मिनट तक गुफ्तगू चलती रही। काका ने अपनी गाड़ी की ओर इशारा करते हुए बाबा को साथ चलने की पेशकश की। बताते हैं कि बाबा यह कहकर आगे बढ़ गए कि उन्हें अलग रास्ते पर जाना है। -दादाजी