- 54 डॉक्टर पीजीआई चंडीगढ़ से ले रहे ट्रेनिंग, नशामुक्ति केंद्रों में लगेगी ड्यूटी
- केंद्र की रिपोर्ट के हिसाब से हरियाणा के आधे जिले आ चुके नशे की चपेट में
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 18 दिसंबर
हरियाणा को मनोचिकित्सक नहीं मिल पा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में नशामुक्ति केंद्र तो सरकार स्थापित कर रही है लेकिन डॉक्टरों की कमी के चलते उनमें उतनी कमयाबी नहीं मिल पा रही। ऐसे में सरकार ने राज्य में कार्यरत डॉक्टरों को ही मनोचिकित्सा की ट्रेनिंग दिलवानी शुरू कर दी है। इस कड़ी में 29 डॉक्टरों ने बेंगलुरु से मनोचिकित्सा में डिप्लोमा हासिल किया।
इसके अलावा 54 डॉक्टर पीजीआई, चंडीगढ़ में प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं। इन डॉक्टरों को बाद में नशामुक्ति केंद्रों में नियुक्त किया जाएगा ताकि नशे की चपेट में आए लोगों का उपचार किया जा सके। डबवाली से कांग्रेस विधायक अमित सिहाग ने उपमंडल अस्पताल में मनोचिकित्सक की नियुक्ति का मुद्दा उठाया था। अहम बात यह है कि सिहाग द्वारा सत्र से कुछ दिन पहले ही यह सवाल लगाया था।
सवाल आने के बाद हिसार के एक मनोचिकित्सक की दो महीने के लिए डबवाली में ड्यूटी लगाई गई। अमित सिहाग ने डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति कम से कम छह महीने करने और नियमित डॉक्टर नियुक्त करने का मुद्दा उठाया। इस पर विज ने सदन में ही ऐलान किया कि जिस डॉक्टर को हिसाब से डबवाली भेजा गया है, अब वह स्थाई तौर पर डबवाली में ही कार्यरत रहेगा।
डबवाली में अल्ट्रासाउंड मशीन का मुद्दा भी उन्होंने सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि 2020 में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने छह महीने में अल्ट्रासाउंड मशीन भिजवाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक मशीन नहीं पहुंची। साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया कि डबवाली अस्पताल की मशीन को अंबाला में शिफ्ट कर दिया गया। विज ने आरोपों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि वे इस बात की जांच करवाएंगे कि उनके कहने के बाद भी अल्ट्रासाउंड मशीन क्यों नहीं भेजी गई।
साथ ही, उन्होंने कहा कि इस मामले में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। विज ने कहा कि पीपीपी मोड के माध्यम से अल्ट्रासाउंड सेवाएं प्रदान करने के लिए निविदा प्रक्रिया में है। निविदा प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के बाद सेवाएं प्रदान किए जाने की संभावना है। इसमें आमतौर पर लगभग 6 महीने लगते हैं। विज ने कहा कि नशे के खिलाफ सरकार विशेष मुहिम चला रही है।