डॉ. ऋतु सारस्वत
एक और साल बीतने को है। नववर्ष का आगमन, पुरातन का आकलन, उत्साह, खुशी, ऊर्जा, सफलता, असफलता, निराशा, अपमान, हताशा और अंत में ‘आशा’ इन्हीं शब्दों का पिटारा ही तो है वर्ष 2023…। तीव्र गति से बढ़ती आर्थिक विकास की गति भारत का एक गौरवशाली इतिहास लिखने को तत्पर है। इस जाते हुए वर्ष में बहुत कुछ मंथन करने को है, उलझन इस बात की है कि आरंभ कहां से हो? चर्चा खुशियों की हों या जिक्र हताशा का भी हो, यह तय है कि हर पराजय जीत के सबक देकर जाती है, बशर्ते हमारी मंशा देश हित की हो। इसमें किंचित भी संदेह नहीं कि बात जब देश की ‘सक्षमता’ की हो तो आधी-आबादी का जिक्र न उठे क्योंकि उनकी ‘सक्षमता’ देश को सक्षम बनाती है, उनका ‘आर्थिक स्वावलंबन’ देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करता है, उनकी ‘अस्मिता’ की रक्षा देश के आत्मसम्मान का संरक्षण करती है।
विचारणीय यह है कि 2023 अपनी यादों में देश की आधी-आबादी के लिए क्या छोड़कर जा रहा है? इस वर्ष का आरंभ ही महिला सक्षमता की एक नवीन पटकथा के लेखन से हुआ, जब जनवरी माह में सेनाध्यक्ष ने सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट में महिलाओं को शामिल करने का ऐलान किया जिसे सरकार ने मार्च माह में स्वीकृति दी। वर्ष 2023 इस रूप में भी अपनी छाप छोड़ गया कि ‘फायर एंड फ्यूरी सैपर्स’ की कैप्टन शिवा चौहान को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन के ‘कुमार-पोस्ट’ पर तैनात किया गया। महिला अग्निवीरों ने फौज में सम्मिलित होकर यह सिद्ध कर दिया कि अगर उन्हें मौका मिले तो महिला सशक्तता की नित्य नवीन इबारत वह लिख सकती हैं।
नवंबर आते-आते सेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का एक और उदाहरण उस समय देखने को मिला जब सशस्त्र सेना ट्रांसफ्यूजन सेंटर की कमान पहली बार महिला अधिकारी को सौंपी गई। 2023 का अंतिम माह लैंगिक समावेशिता की अनूठी छाप तब छोड़ गया जब भारतीय सेना ने नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में 4 से 8 दिसंबर तक दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन की महिला अधिकारियों के लिए एक टेबल-टॉप एक्सरसाइज का आयोजन किया। यह अभ्यास प्रतिभागियों के लिए वास्तविक दुनिया की चुनौतियों को प्रतिबिंबित करते हुए जटिल शांति स्थापना परिदृश्यों पर प्रतिक्रियाओं का अनुकरण और रणनीति बनाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। आधी-आबादी की सशक्तता के पदचाप उस समय सुनाई दिए जब पूर्वोत्तर भारतीय राज्य नागालैंड से निर्वाचित महिला सांसद एस फांगनोन कोन्याक को सदन की कार्यवाही के संचालन का अवसर मिला। संसद के मानसून सत्र से पहले बनाए गए आठ सदस्यीय पैनल में चार महिलाओं को शामिल किया गया। राज्यसभा के इतिहास में पहली बार उपाध्यक्षों के इस पैनल में महिला सदस्यों को समान संख्या में प्रतिनिधित्व मिला।
महिला सशक्तीकरण का सफल अध्याय तब तक लिखा जाना संभव नहीं जब तक कि महिलाएं निर्णय लेने की क्षमता प्राप्त नहीं करतीं। निर्णय लेने की क्षमता का सबसे सशक्त आधार ‘राजनीतिक सत्ता’ है क्योंकि यह नेतृत्व क्षमता प्रदान करती है। 2023 में महिला सशक्तीकरण का बिगुल तब बजा जब सितंबर माह में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ का उद्घोष हुआ। संसद में केंद्र सरकार ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की घोषणा की। वर्ष 2023 का यह निर्णय भविष्य की तस्वीर बदल देगा। वर्तमान में लोकसभा के कुल 543 सदस्य हैं। वर्तमान में मौजूद सदन में महिलाएं 82 हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के प्रभावी होने के बाद 181 महिला सांसद होगी। यह अंतर आंकड़ों भर का नहीं होगा अपितु यह अंतर एक सशक्त देश की तस्वीर उकेरेगा।
महिलाओं के लिए दीर्घकालिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास के उद्देश्य से की गई नीतिगत पहलुओं से महिला सशक्तीकरण सुनिश्चित करने के प्रयास तब फलीभूत होते प्रतीत होते हैं जब सांख्यिकीय एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की अक्तूबर माह में जारी आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि देश में महिला श्रमबल भागीदारी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल की गई।
यह वर्ष विश्व मानचित्र में कभी न मिटने वाली कहानी चंद्रयान-3 जब लिख रहा था तब कई महिला वैज्ञानिक उस कथा की रचना में अपना अभूतपूर्व सहयोग दे रही थीं। हर वह क्षेत्र जहां महिलाओं के अस्तित्व को नकारा गया 2023 यह सिद्ध करता चला गया कि महिला सशक्तता किसी भी बाधा को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। मार्च, 2023 में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ सिविल एविएशन की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय महिलाएं आसमान में भी सुराख कर रही हैं। रिपोर्ट बताती है कि भारत में 15 प्रतिशत महिला पायलट हैं जो कि वैश्विक औसत से पांच प्रतिशत का तीन गुना है। खेल की दुनिया विशेष कर क्रिकेट को ‘जेंटलमैन गेम’ मानने की परंपरा को महिलाओं ने भेद दिया। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने एशियाई गेम्स 2023 में इतिहास रचा, हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में टीम ने गोल्ड मेडल जीता। यही नहीं, 2023 का अंतिम माह गवाह बना उस क्षण का जब दुनिया की दिग्गज टीमों में शुमार ऑस्ट्रेलिया को भारतीय महिलाओं ने इकलौते टेस्ट में 8 विकेट से पराजित करके ऐसा धमाका किया जिसकी गूंज क्रिकेट के इतिहास में सुनाई देती रहेगी।
इन सफलताओं की कहानी के बीच बहुत कुछ पीड़ादायक भी घटा। यौन शोषण के खिलाफ धरने पर बैठी महिला पहलवान का दुख, हताशा यह बताने के लिए काफी था कि पितृसत्तात्मक व्यवस्था में उनकी लड़ाई आसान नहीं है। वहीं मणिपुर में महिलाओं के साथ जो कुछ भी घटित हुआ वह 2023 को शर्मिंदा कर गया। इस वर्ष का मार्च का महीना वह घाव दे गया जो कभी भी भरा नहीं जा सकता। उदयपुर (राज.) में दस वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसके शरीर के 10 टुकड़े कर दिए गए वहीं भीलवाड़ा (राज.) में एक मासूम बच्ची को कोयले की भट्टी में झोंकने की घटना रूह कंपा देने वाली थी। दुष्कर्म की घटनाओं से छलनी होती महिला अस्मिता, विकास के हर स्तंभ पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है।
घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न के दाग 2023 के अध्याय को कलंकित करते हैं, परंतु राहत की बात यह है कि केंद्रीय गृहमंत्री ने हाल ही में न्याय प्रणाली में सुधार के लिए ‘भारतीय न्याय संहिता 2023’ सहित तीन विधेयक पेश किए। भारतीय न्याय संहिता 2023 सन् 1860 की पुरानी दंड संहिता की जगह लेगी। भारतीय न्याय संहिता 2023 की प्रमुख शक्तियों में से एक महिला के विरुद्ध अपराधों से संबंधित प्रावधानों को दी गई प्राथमिकता में निहित है। महिला उत्पीड़न पर कड़ी सजा का प्रावधान विश्वास दिलाता है कि महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों पर लगाम लगेगी।
कुल मिलाकर एक मजबूत कानूनी ढांचा यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय समाज में महिलाओं को, समाज के समान सदस्यों के रूप में मान्यता दी जाए, भेदभाव और हिंसा से बचाया जाए और जीवन के सभी पहलुओं में पूरी तरह से भाग लेने का अधिकार दिया जाए। जी-20 ‘महिला नेतृत्व वाले समग्र विकास में पीढ़ीगत बदलाव का शिखर’ विषय पर केंद्रित आयोजन यह स्पष्ट इंगित करता है कि आने वाला समय महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर ही केंद्रित होगा। 2023 की उपलब्धियों की पुनरावृत्ति और नाकामियों से सबक- इसी आशा के साथ 2024 को आधी दुनिया के साथ कदमताल करने की आकांक्षा है।
लेखिका समाजशास्त्री एवं स्तंभकार हैं।