अयोध्या, 22 जनवरी (एजेंसी)
राम भक्तों के वर्षों के इंतजार के बाद आखिरकार सोमवार को अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में श्री रामलला की नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई। भगवान राम के बाल स्वरूप प्रतिमा को पीले रंग के वस्त्र और रत्न जड़ित आभूषण पहनाए गये। गले में पीले, लाल और बैंगनी रंग के फूलों की माला भगवान की बाल छवि को सुशोभित कर रही थी। प्रभु की यह छवि देखकर तुलसीदास की पंक्तियां- ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैजनियां… मानो जीवंत हो उठीं। अस्थायी मंदिर में रखी गयी रामलला की पुरानी मूर्ति को भी नयी मूर्ति के सामने रखा गया है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर विशेष अनुष्ठान में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अलौकिक क्षण बताते हुए ‘सियावर रामचंद्र की जय’ और ‘जय श्री राम’ का उद्घोष किया और कहा कि हमारे राम आ गये हैं।
मध्याह्न 12:29 बजे 84 सेकंड के अभिजीत मुहूर्त के दौरान रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गयी। प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित अनुष्ठान किए। इस दौरान मंदिर परिसर में संत, राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े लोग और मनोरंजन, खेल तथा उद्योग जगत की हस्तियां मौजूद रहीं।
सेना के हेलीकॉप्टरों ने नवनिर्मित राम जन्मभूमि मंदिर पर पुष्प वर्षा की। उत्तर प्रदेश की इस मंदिर नगरी में उत्सव के बीच लोगों ने नाच-गाकर खुशी जाहिर की। देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु यह जानते हुए भी अयोध्या पहुंचे कि वे मुख्य समारोह में भाग नहीं ले सकेंगे। इस दौरान अयोध्या में सुरक्षाकर्मियों का कड़ा पहरा रहा और सुबह से ही सड़कों पर ‘रामधुन’ बजनी शुरू हो गयी थी। देशभर के मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गये। घरों में जलाए दीयों से दिवाली जैसा माहौल रहा। वाशिंगटन डीसी से लेकर पेरिस और सिडनी तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विश्व हिंदू परिषद व हिंदू प्रवासी समुदाय ने कार्यक्रम आयोजित किए। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया कि रामलला की विराजमान की गयी नयी प्रतिमा के साथ बनाई गयीं दो अन्य मूर्तियों को मंदिर की पहली और दूसरी मंजिल पर स्थापित किया जाएगा।
पीएम ने किया साष्टांग प्रणाम, खोला उपवास
सुनहरी रंग का कुर्ता, क्रीम रंग की धोती और उत्तरीय पहने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवनिर्मित राम मंदिर के मुख्य द्वार से पैदल चलकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। वह लाल रंग के कपड़े में लिपटा चांदी का छत्र लेकर आए। प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित अनुष्ठान के बाद उन्होंने भगवान राम को साष्टांग प्रणाम किया। मंदिर न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि के हाथों चरणामृत पीकर प्रधानमंत्री ने 11 दिन का उपवास खोला।
‘मंगल ध्वनि’ से गुणगान
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान बजायी गयी मधुर ‘मंगल ध्वनि’ में देशभर के 50 पारंपरिक वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल किया गया। प्रात: 10 बजे शुरू हुआ संगीत का कार्यक्रम करीब 2 घंटे तक चला। आर्केस्ट्रा संयोजन यतीन्द्र मिश्रा, जो कि अयोध्या के राजपरिवार से हैं, का था। संगीत कार्यक्रम में गायक शंकर महादेवन, अनुराधा पौडवाल और सोनू निगम ने प्रस्तुति दी।
अतिथियों को विशेष उपहार
समारोह में आमंत्रित अतिथियों को अयोध्या के विषय में एक पुस्तक, धातु का दीया, विशेष माला और प्रभु राम के नाम वाला अंगवस्त्र और एक घंटी दी गयी, जो उन्होंने आरती के दौरान बजायी। तिलक लगाकर उनका स्वागत किया गया। अतिथियों को वाराणसी और दिल्ली के खानसामाओं द्वारा तैयार शाकाहारी भोजन के पैकेट वितरित किये गए। एक स्कूल के सभागार को रसोई में बदला गया था।
कुबेर टीला शिव मंदिर में पूजा, ‘जटायु’ प्रतिमा का अनावरण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अयोध्या में कुबेर टीला पहुंचकर शिव मंदिर में भगवान शिव की पूजा की और जटायु की मूर्ति का अनावरण किया। प्रधानमंत्री ने शिवलिंग का जलाभिषेक किया और मंदिर की परिक्रमा भी की। राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। बाद में प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के परिसर में ‘जटायु’ की एक मूर्ति का अनावरण किया। जटायु रामायण के एक प्रसिद्ध गरुड़ पात्र हैं। जब रावण सीता का हरण करके लंका ले जा रहा था तो जटायु ने सीता को रावण से छुड़ाने का प्रयत्न किया था। इससे क्रोधित होकर रावण ने उनके पंख काट दिये थे।
अयोध्या में रामलला के लिए भेंट लेकर जाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। -प्रेट्र
यह नये कालचक्र का उद्गम : मोदी
कहा- समृद्ध और विकसित भारत के उदय का गवाह बनेगा राम मंदिर
अयोध्या, 22 जनवरी (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को एक नये युग के आगमन का प्रतीक करार दिया। उन्होंने लोगों से अगले एक हजार वर्षों के मजबूत, भव्य और दिव्य भारत की नींव बनाने का आह्वान भी किया।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का यह अवसर उत्सव का क्षण तो है ही, लेकिन इसके साथ ही भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का क्षण भी है। हमारे लिए यह अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर समृद्ध और विकसित भारत के उदय का गवाह बनेगा। हमें आज से, इस पवित्र समय से, अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखनी है। मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर अब हम सभी देशवासी, यहीं इस पल से समर्थ-सक्षम, भव्य-दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं। राम के विचार, ‘मानस के साथ ही जनमानस’ में भी हों, यही राष्ट्र निर्माण की सीढ़ी है। वह अभी भी गर्भगृह के भीतर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान अनुभव किए गए दिव्य स्पंदनों को महसूस कर सकते हैं। मोदी ने अपने 36 मिनट के भाषण में कहा, ‘22 जनवरी 2024 का यह सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है और यह कैलेंडर पर लिखी एक तारीख नहीं बल्कि एक नए कालचक्र का उद्गम है।… सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। सदियों का अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे प्रभु राम आ गये हैं।… हमारे रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे। हमारे रामलला अब इस दिव्य मंदिर में रहेंगे। मेरा पक्का विश्वास और अपार श्रद्धा है कि जो घटित हुआ है, इसकी अनुभूति देश के, विश्व के कोने-कोने में रामभक्तों को हो रही होगी।’ उन्होंने इस क्षण को अलौकिक और पवित्रतम बताते हुए कहा, ‘आज मैं प्रभु श्री राम से क्षमा याचना भी करता हूं, हमारे पुरुषार्थ व तपस्या में कुछ कमी रही होगी कि हम इतनी सदियों तक मंदिर निर्माण नहीं कर पाए… आज वह कमी पूरी हुई।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि राम मंदिर के भूमिपूजन के बाद से प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा था और निर्माण कार्य देख देशवासियों में हर दिन एक नया विश्वास पैदा हो रहा था। उन्होंने कहा, ‘आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है। आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है। पूरा देश आज दीवाली मना रहा है। यह राम का परम आशीर्वाद है कि हम इसके साक्षी बन रहे हैं।
यह भारत की दृष्टि, दर्शन, दिग्दर्शन का मंदिर है। यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था, आधार, विचार, विधान, चेतना और चिंतन हैं।
-नरेंद्र मोदी, पीएम
न्यायपालिका ने न्याय की लाज रखी
मोदी ने कहा कि भारत के तो संविधान में, उसकी पहली प्रति में, भगवान राम विराजमान हैं। उन्होंने कहा, ‘संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं आभार व्यक्त करूंगा भारत की न्यायपालिका का जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु श्रीराम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से बना।’
सर्वोच्च आदर्शों की प्राण प्रतिष्ठा
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अयोध्या में केवल श्रीराम के विग्रह रूप की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है। ये श्रीराम के रूप में साक्षात भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा है। ये साक्षात मानवीय मूल्यों और सर्वोच्च आदर्शों की भी प्राण प्रतिष्ठा है। प्रधानमंत्री ने उस समय को भी याद किया जब ‘कुछ लोग’ कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। उन्होंने कहा, ‘रामलला के इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव और समन्वय का भी प्रतीक है। ये निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है।’ उन्होंने कहा कि राम आग नहीं ऊर्जा हैं, विवाद नहीं समाधान हैं, राम सिर्फ हमारे नहीं, राम तो सबके हैं।
श्रमिकों पर बरसाये फूल
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण से जुड़े श्रमजीवियों से बातचीत की। श्रमिकों पर पुष्पवर्षा भी की।
प्रभु बिलोकि हरषे पुरबासी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- त्रेता में राम आगमन पर तुलसीदास जी ने लिखा है- प्रभु बिलोकि हरषे पुरबासी। जनित वियोग बिपति सब नासी। अर्थात, प्रभु का आगमन देखकर ही सब अयोध्यावासी, समग्र देशवासी हर्ष से भर गए। लंबे वियोग से जो आपत्ति आई थी, उसका अंत हो गया। उस कालखंड में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है।
500 साल पुराना विवाद
1528 : मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई।
1885 : ढांचे के बाहर चबूतरा बनाने के लिए फैजाबाद अदालत में याचिका दायर, खारिज।
1949 : विवादित ढांचे के बाहर मध्य गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति रखी गई।
1986 : स्थानीय अदालत ने सरकार को हिंदू भक्तों के लिए स्थल खोलने का आदेश दिया।
1989 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे के संबंध में यथास्थिति रखने का आदेश दिया।
1992 : बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया।
1993 : विवादित क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के लिए केंद्र द्वारा अधिनियम पारित।
2002 : मालिकाना हक का निर्धारण करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू।
2010 : हाईकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच 3 हिस्सों में जमीन बांटने का फैसला सुनाया।
2011 : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगायी।
2019 : संविधान पीठ ने पूरी 2.77 एकड़ जमीन रामलला को दी, मस्जिद के लिए अन्य स्थान पर 5 एकड़ देने का निर्देश।
2020 : प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन की घोषणा की, नींव रखी।