शमीम शर्मा
किसी भी सीधी-सादी स्त्री की तुलना अक्सर हम गाय से करते हैं जबकि कोई आदमी सीधा-सरल हो तो उसे गधा कहने लगते हैं। यह भेद-भाव किस आधार पर किया जाता है, समझ से परे है। एक लोकप्रसंग है कि गधे ने परमात्मा से अनुरोध किया कि उसे अगले जन्म भी गधा ही बनाया जाये तो भगवान बोले- एक योनि का जन्म दोबारा नहीं मिल सकता। इस पर गधे ने कहा तो फिर आप अगले जन्म में मुझे पति बना देना। ईश्वर उसे समझाते हुए बोले- मुझसे चालाकी नहीं चलेगी, कह दिया न कि दोबारा गधा नहीं बना सकता।
एक अत्यंत परिश्रमी जानवर का नाम गालीसूचक कब और कैसे बन गया, यह शोध का विषय है। कक्षा में अध्यापक अक्सर कहते-सुने जा सकते हैं- गधा कहीं का। कहते हैं कि एक बार एक गधे ने अपने दोस्त को बताया कि उसका मालिक उसकी बेतहाशा पिटाई करता है तो दोस्त ने पूछा फिर तू उसे छोड़कर भाग क्यों नहीं जाता। गधे का जवाब था कि मालिक अपनी लड़की को धमकी देता है कि नहीं पढ़ेगी तो तुझे इस गधे से ब्याह दूंगा, बस इसी आस में टिका बैठा हूं। यह सही है कि जीवन उम्मीदों के सहारे टिका है पर उस उम्मीद का भी क्या फायदा जो अपनी फजीहत करवा कर पूरी होती हो। राजनीति में देखो तो दंग रह जाओगे कि कई बार कितनी बेइज्जती होने पर भी लोग पांव पकड़े बैठे रहते हैं। जरा से भी नहीं सिसकते। बुद्धिमान कहते हैं कि यही गुण उन्हें राजनीति में प्रगति की राह दिखाता है।
गधों की सबसे अच्छी बात जो मुझे लगती है कि आप किसी को गधा कहो न कहो पर गधे समझ ही जाते हैं कि उन्हें ही गधा कहा जा रहा है। अपने यहां ऐसे-ऐसे अध्यापक हुए हैं जो दावा करते रहे हैं कि वे गधों को भी इंसान बना सकते हैं। पर ऐसा कोई आंकड़ा सामने अभी तक आया नहीं है कि कितने गधे इंसान में परिणत हो चुके हैं। कहते हैं कि बोझा उठाने में गधा नंबर वन होता है पर प्रेमियों के सामने गधे फीके पड़ जाते हैं। अपनी प्रेयसी के नखरों का बोझ उठाने में प्रेमियांे का कोई सानी नहीं हो सकता।
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एक बर की बात है अक एक गधा जंगल मैं भाज्या जावै थो तो चूहे नैं टोक लिया- रै के बात, के अमरजेंसी आगी? गधा बोल्या- आज शेर नैं कसूत्ता हमला कर दिया है अर जंगल मैं पुलिस शेर ढूंढती फिरै है। चूहा अचरज मैं बोल्या- पर तू तो गधा है, तेरै क्यां बात का डर? गधा बोल्या- या पुलिस हमनैं पकड़कै ले ज्यैगी अर फेर अदालत मैं पूरे बीस साल खप ज्यैंगे यो बताण मैं अक मैं शेर नहीं गधा हूं।