ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 4 फरवरी
हरियाणा में निजी नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण देने वाला कानून पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा रद्द किये जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। प्रदेश सरकार ने कहा है कि राज्य के युवाओं का हक दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी की जाएगी। केस पर 6 फरवरी को सुनवाई संभव है। साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता हरियाणा सरकार का पक्ष रखेंगे।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने रविवार को चंडीगढ़ में कहा कि प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण का कानून राज्य और उद्योगों के हित को ध्यान में रखकर बनाया गया है। हमने हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन किया है। हाईकोर्ट की तरफ से जो भी आपत्तियां उठाई गई हैं, उन पर साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ बातचीत हुई है। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में फैसला हरियाणा सरकार के हक में आएगा। हाईकोर्ट ने ‘हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम 2020’ को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था। दुष्यंत चौटाला की तरफ से कहा गया कि इस कानून से सभी उद्योगपति सहमत हैं, क्योंकि प्रदेश के उद्योगों में स्थानीय कुशल युवाओं का होना जरूरी होता है। दुष्यंत ने बताया कि राज्य में चार साल के भीतर औद्योगिकीकरण बढ़ा है। करीब 39 हजार 700 करोड़ रुपये का उद्योगों में निवेश हुआ है।