दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 5 फरवरी
केंद्रशासित प्रदेश, चंडीगढ़ ने राजधानी में सेवा दे रहे पंजाब और हरियाणा के कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अपने-अपने हिस्से के पदों पर यूटी में सेवा दे रहे अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति की समय सीमा तय करने का निर्णय चंडीगढ़ प्रशासन ने लिया है। इतना ही नहीं, तत्कालीन यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित से इसके लिए फाइल मंजूर करवा कर केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज चुके हैं।
अहम बात यह है कि इस कदम को उठाने से पहले यूटी के अफसरों ने गृह मंत्रालय की गाइडलाइन को चैक तक नहीं किया। गृह मंत्रालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए प्रशासन ने एकतरफा प्रस्ताव पास करवा दिया। अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि अधिकांश अधिकारी इस प्रस्ताव के विरोध में थे, लेकिन हरियाणा के ही एक वरिष्ठ आईएएस की वजह से एक्स-कैडर पदों पर भी पांच वर्ष की समय सीमा तय कर दी गई। इसमें अधिकतम दो साल तक की एक्सटेंशन हो सकेगी।
पंजाब और हरियाणा के बीच हुए समझौते के तहत यूटी के पदों में साठ प्रतिशत हिस्सा पंजाब और चालीस प्रतिशत हरियाणा का था। 1991 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसमें बदलाव किया। यूटी में विभिन्न विभागों में कुल पदों में से 80 प्रतिशत पद यूटी कैडर के लिए तय किए गए। बाकी के बीस प्रतिशत पदों में से 60 प्रतिशत पंजाब और चालीस प्रतिशत हरियाणा के कर्मचारियों के लिए तय किए गए। 1991 से ये ही नियम चले आ रहे हैं। पंजाब व हरियाणा के लिए जो 20 प्रतिशत पद तय किए गए, उनके विरुद्ध दोनों राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों को ट्रांसफर ऑन डेपुटेशन बेस पर भेजती रही हैं। चूंकि यह दोनों राज्यों की कैडर पोस्ट हैं। ऐसे में यूटी प्रशासन के पास इन कर्मचारियों का पीरियड तय करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इसके बावजूद कई बार समय सीमा तय करने की कोशिशें होती रही हैं। पिछले साल भी फरवरी में यह मुद्दा उठा था।
3 मार्च, 2023 को यूटी एडवाइजर की अध्यक्षता में हुई बैठक में चंडीगढ़ के अलावा पंजाब व हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया। उस दौरान भी यूटी प्रशासन समय सीमा तय करना चाहता था, लेकिन दोनों राज्यों ने दो-टूक कहा, हमारे कर्मचारी कितने दिन यूटी में सेवा देंगे, ये हम तय करेंगे। यूटी प्रशासन इसमें दखल नहीं दे सकता।
प्रशासन ने न केवल प्रक्रिया शुरू की है बल्कि प्रस्ताव पास करके मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय को भेजा जा चुका है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल तथा पंजाब सीएम भगवंत मान पूर्व में भी इस पर आपत्ति जता चुके हैं। दोनों राज्यों के कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर एक बार फिर पंजाब व हरियाणा के मुख्यमंत्री से मुलाकात करने का निर्णय लिया है। इस बीच, 7 फरवरी को दोनों राज्यों के कर्मचारी पंजाब राजभवन का घेराव करेंगे। इसके लिए चंडीगढ़ के होम सेक्रेटरी को पत्र लिखकर सूचित किया जा चुका है।
करना था कुछ कर दिया कुछ
केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियमों को यूटी में लागू किया गया है। पहली अप्रैल, 2022 से केंद्रीय सेवा नियम लागू हुए। ऐसे में यूटी प्रशासन को पंजाब एवं हरियाणा के कर्मचारियों के लिए भी ट्रांसफर ऑन डेपुटेशन पॉलिसी में नियम एवं शर्तें तय करनी थी। इसके लिए कार्मिक विभाग की ओर से फाइल चलाई गई।
इस फाइल में साफ लिखा कि पंजाब एवं हरियाणा के कर्मचारियों पर ये नियम इसलिए लागू नहीं हो सकते क्योंकि वे एक्स-कैडर पोस्ट पर सेवारत हैं। उन्हें प्रतिनियुक्ति भत्ता भी नहीं मिलता। गृह मंत्रालय के भी नियम हैं कि जिन कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति भत्ता नहीं मिलता, उनका पीरियड तय नहीं किया जा सकता। बताते हैं कि हरियाणा के अधिकारी द्वारा फाइल पर आपत्ति लगाकर उसे वापस भेज दिया और उस पर टाइम पीरियड तय करने के निर्देश दिए।
एमएचए पहले ही कर चुका स्पष्ट
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा प्रतिनियुक्ति को लेकर पूर्व में ही स्पष्ट किया जा चुका है। 1982 में यूटी के होम सेक्रेटरी आरएस मान ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर प्रतिनियुक्ति को लेकर स्पष्टीकरण जारी करने की मांग की थी। इसके जवाब में 27 जुलाई, 1982 को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी बालेश्वर ने स्पष्ट किया कि डिपार्टमेंट ऑफ प्रर्सोनल के रूल पंजाब व हरियाणा से प्रतिनियुक्ति पर आने वाले कर्मचारियों पर लागू नहीं होते। इन कर्मचारियों पर इनके राज्यों के ही सर्विस रूल लागू होंेगे। यह भी साफ किया गया कि पंजाब व हरियाणा से यूटी में आने वाले कर्मचारी ट्रांसफर-ऑन-डेपुटेशन बेस पर आते हैं।